Category: डायरी
क्षमावाणी
पर्युषण पर्व के 10 दिनों में जो विशुद्धता आयी, उससे क्षमा के भाव बनते हैं। सही तरीका तो यह है कि जिनसे पिछ्ले दिनों में
ब्रम्हचर्य धर्म
जनसंख्या की वृद्धि रोकने के लिये परिवार नियोजन की जरूरत नहीं, पाप के नियोजन की जरूरत है । वासना ही है जो उपासना और आत्मा की
आकिंचन्य धर्म
ग्रह उनको ही लगते हैं, जिन पर परिग्रह होती है । तन के अनुरूप ही मन का नग्न होना, आकिंचन्य है । तुम्बी तैरती, तैराती औरों
त्याग धर्म
आप आम को खाने से पहले उसे दबा दबा कर ढ़ीला करते हैं, फिर उसके ऊपर से टोपी (डंठल) हटाते हैं, खाने से पहले चैंप
तप धर्म
तप प्रकाशन के लिये नहीं ,प्रकाशित करने के लिये होना चाहिये, आत्मा को प्रकाशित करने के लिये । मोक्ष साधन वाले नहीं जाते ,साधना वाले
संयम धर्म
अपने मन-वचन और इन्द्रियों को संयमित कर लेना, नियमित कर लेना, नियन्त्रित कर लेना, इसी का नाम संयम है। यदि हमने अपने जीवन में सत्य-ज्योति
सत्य धर्म
जिसका मन जितना सच्चा होगा उसका जीवन भी उतना ही सच्चा होगा । जीवन उन्हीं का सच बनता है जो कषायों से मुक्त हो जाते
शौच धर्म
उत्तम शौच ( लोभ न करना ) :- अपन आनन्द लें उस चीज़ का जो अपने को प्राप्त है । लेकिन जो अपने पास है
आर्जव धर्म
आर्जव धर्म , मायाचारी का उल्टा यानि सरलता । मायाचारी व्यक्ति प्राय: साँप जैसा होता है, ऊपर से सुंदर और चिकना, पर अंदर से ज़हरीला
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