Category: वचनामृत – अन्य

चरण / साधु

भगवान के चरण-चिह्न स्त्रियाँ छू सकती हैं, साधु के चरण क्यों नहीं ? दादा जी का बहू लिहाज करतीं हैं, उनके फोटो का क्यों नहीं

Read More »

प्रवचन

प्रवचन सिर के ऊपर से निकले तो वक्ता की कमी, हृदय के ऊपर से निकले तो श्रोता की कमी। निर्यापक मुनि श्री सुधासागर जी

Read More »

Tension

अपने सारे Tensions गुरु/ भगवान को Transfer कर दें। जैसे बचपन में माँ को Transfer करके सो जाते थे, वह जागकर ध्यान रखतीं थीं। पर

Read More »

त्याग

सही त्याग वस्तु का नहीं, उसके प्रति लगाव का होता है। इसीलिये तप को त्याग के पहले कहा जाता है। तप से मोह कम होता

Read More »

मन

मन तो कद से बड़ा पलंग चाहता है। मिल जाने पर और-और बड़ा माँगने लगता है। हालांकि पहले से ज्यादा खाली हो जाता है, बाहर

Read More »

दान

“दान” शब्द का प्रयोग तो बहुत जगह होता है जैसे तुलादान, पर वह दान की श्रेणी में नहीं आयेगा। ऐसे ही रक्तदान यह सहयोग/ करुणा

Read More »

धर्म

धर्म अंदर से भरता है। प्राय: यह भ्रम रहता है कि बाहर से भरता है इसीलिये धर्म पर से विश्वास घट रहा है। धर्म (सार्वभौमिक

Read More »

तिलक

तिलक लगाने की परम्परा क्यों ? आचार्य श्री विद्यासागर जी… ठंडी में केसर (गरम होती है) का, गर्मियों में चंदन में कपूर मिलाकर लगाने से

Read More »

कर्तृत्व

कर्ता, भोक्ता, स्वामित्व भावों को कर्तृत्व भाव कहते हैं। पर इनसे अहम् आने की सम्भावना रहती। ये भाव संसार तथा परमार्थ दोनों में आते हैं।

Read More »

आत्मा / कर्म

पानी में काई होती है, तब पानी काई के रंग का दिखने लगता है। पर पानी काई नहीं हो जाता है। आत्मा में कर्म हैं।

Read More »

मंगल आशीष

Archives

Archives
Recent Comments

May 9, 2024

January 2025
M T W T F S S
 12345
6789101112
13141516171819
20212223242526
2728293031