Category: वचनामृत – अन्य

परिक्रमा

भगवान/ गुरु की परिक्रमा क्यों ? सीमा निर्धारण, मेरा तेरे अलावा इस सीमा के बाहर कोई और नहीं। निर्यापक मुनि श्री सुधासागर जी

Read More »

नारी

नारी को ताड़न का अधिकारी क्यों कहा ? माँ, बहन, पत्नी को नहीं कहा। नारीत्व पर अंकुश की बात कही है। निर्यापक मुनि श्री सुधासागर

Read More »

छोटे का महत्व

इकाई से ही दहाई आदि बड़ी-बड़ी संख्यायें बनतीं है। मुनि श्री सुप्रभसागर जी

Read More »

लत

Addiction बुरी चीजों का तो बुरा होता ही है, अच्छी आदतों का भी अच्छा नहीं होता। चाहे वह पूजा/ स्वाध्याय/ दानादि का ही क्यों न

Read More »

मूर्ति का महत्व

प्रत्यक्ष से ज्यादा उसकी कल्पना में आनंद आता है। कल्पना का अंत नहीं, साक्षात दर्शन के बाद अंत आ जाता है। मूर्ति के निमित्त से

Read More »

शिक्षक / गुरु

जो मात्र किताबी शिक्षा दे, वह शिक्षक। इनसे पढ़ने वाले छात्र कहलाते हैं। ये शिक्षा Career/ पैसा कमाने के लिये। गुरु शिक्षा के साथ Implementation

Read More »

शिष्य / भक्त

शिष्य जो गुरु चरणों में चढ़ जाये, यानी गुरु दर्शन करके लौट न पाये। भक्त गुरु दर्शन करके लौट जाये। मुनि श्री प्रणम्यसागर जी

Read More »

स्वाध्याय

कथायें आदि जानने से कल्याण नहीं होगा। जो नहीं जानते और उसे जानने का पुरुषार्थ करते हैं, उससे भला होगा। वे भव्य-सिद्ध हैं। जैसे शुरु

Read More »

धरती

धरती, धैर्य शब्द से बना है, धैर्य का सबसे बड़ा प्रतीक। धरती तो माँ का रूप है जो अपने बच्चों की गंदगी को साफ करती

Read More »

बुद्धि / मन

नियम/ व्रत/ त्याग बुद्धि (Wisdom) से लिए जाते हैं। मन तो रोकता है, व्रत आदि लेने के बाद भी मन सिर उठाता रहता है। हाँलाकि

Read More »

मंगल आशीष

Archives

Archives
Recent Comments

January 22, 2024

December 2024
M T W T F S S
 1
2345678
9101112131415
16171819202122
23242526272829
3031