Category: वचनामृत – अन्य
मरण
सुमरण…. भगवान का नाम लेते हुए मरण। समाधि मरण…. क्रमश: भोजनादि छोड़ते हुए भगवान के स्मरण के साथ मरण। मुनि श्री प्रमाणसागर जी
मुखौटे
शेर का मुखौटा लगा कर बच्चा माँ को डरा नहीं पाता क्योंकि माँ तो असली चेहरे को जानती है। भगवान भी तो असली चेहरे को
अंतरंग का महत्व
Label बाह्य और Level* अंतरंग, प्राय: अलग-अलग। बाह्य का Label मिट भी जाय तो भी अंदर की दवा काम करेगी। Label कितना भी सुंदर हो
मंदिर का महत्व
नित्य मंदिर के दर्शन क्यों ? 1. नित्य स्कूल जाते हैं पढ़ने के लिये, मंदिर जाते हैं अपने को गढ़ने के लिये। 2. जैसे प्रियजन
भक्त / भगवान
भक्त दीपक, भगवान सूरज; भक्त भगवान को दीपक कैसे दिखा सकता है ? दीपक दिखाने की तो उपयोगता नहीं है, पर दीपक से भगवान की
हलका होना
पहाड़ पर चढ़ते समय गुरु ने शिष्य के सिर पर वज़न रख कर दिया। शिष्य को परेशानी हो रही थी, तब गुरु ने वज़न हटवा
मायाचारी / सरलता
ढोलक ऊपर से ढकी/ सुंदर, अंदर से पोल। इसीलिये पैरों पर रख कर पीटी जाती है, हालांकि वह बांसुरी आदि वाद्यों से बड़ी व भारी-भरकम
भैंस के आगे बीन बजाना
ऐसी कहावत क्यों ? जब कि उसे सुनाई तो देता है, अपने बच्चे की हलकी सी आवाज़ भी सुन लेती है! पर ये तो राग/मोह
दुःख दूर करने का उपाय
यदि शुभ भाव रखेंगे/ अपने आपको खुश अनुभव करेंगे तो दु:ख प्रवेश कैसे करेगा ! बाकी उपायों से दु:ख दूर नहीं होता, उन पर मरहम
आलोचना
आलोचना को गम्भीरता से लें लेकिन व्यक्तिगत नहीं। मुनि श्री अविचलसागर जी
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