Category: वचनामृत – अन्य

मौन

मौन = म + ऊ + न = मध्य* + ऊर्ध्व (देवलोक) + नरक (लोकों की यात्रा)। आर्यिका श्री पूर्णमति माताजी *मनुष्य + जानवरों का

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सफलता

विधि, विधि और विधि से सफलता मिलती है यानी भाग्य, तरीका और पुरुषार्थ से। मुनि श्री मंगलानंदसागर जी

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निंदक नियरे राखिए…

कोई चोर आपके घर में घुसे, सोने चाँदी को तो देखे भी नहीं, आपके घर की गंदगी उठा ले जाए तो आपको दु:ख होगा क्या

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हड़पना

आजकल हड़प्पा(हड़पना) पद्धति चल रही है। लेकिन ध्यान रहे… अगले जन्म में यदि हड़पने वाला पेड़ बना तो जिसका हड़पा है वो साइड में यूकेलिप्टिस

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बोध-वाक्य

बाहर एकता रखनी है, अंदर एकत्व भाव। सोते समय भी सावधानी बरतते हैं/ तीनों मौसमों में भी, फिर भावों में क्यों नहीं ? अगर सावधानी

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क्षमावाणी

अगर पर्युषण पर्व पर इस कविता को यथार्थ में समझ लिया जाये तो ये पर्व मनाना निस्संदेह सफल हो जायेगा:— मैं रूठा, तुम भी रूठ

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उत्तम ब्रह्मचर्य

ब्रह्म में लीन होना ब्रह्मचर्य है। इससे जीवन में निराकुलता आती है और दृष्टि अंतर्मुखी होती है। दुनिया से विरक्त हो जाना ही ब्रह्मचर्य है।

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उत्तम आकिंचन्य

मैं और मेरापन/ पुराने विचारों को छोड़ना भी आकिंचन्य/ अपरिग्रह है। शक्ति दो प्रकार की होती हैं… एक स्मरण-शक्ति जैसे पुराने विचार, दूसरी दर्शन-शक्ति यानी

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उत्तम त्याग

संपूर्ण वस्तु/ वस्तुओं को छोड़ना त्याग है। दान और त्याग में अंतर… दान पराधीन है, इसमें परिग्रह रह जाता है, विकल्प होते हैं, अच्छी और

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उत्तम तप

इच्छा निरोध/ अपेक्षा निरोध/ पर वस्तुओं को छोड़ने को तप कहते हैं। जैसे-जैसे तप पढ़ेगा इच्छाएँ कम होंगी। इच्छा शक्ति अनंत है, पुण्य काफ़ी हो

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मंगल आशीष

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