Category: वचनामृत – अन्य

पूजा / भक्ति

पूजा गुणानुवाद है, भक्ति गुणानुराग – भगवान/गुरु व उनके गुणों से। भक्ति श्रद्धा का बाह्य रूप है पर इससे आंतरिक प्रेम उत्पन्न करता है। मुनि

Read More »

सक्रियता

जुगुनू तब तक ही चमकता रहता है जब तक वह उड़ता रहता है/सक्रिय रहता है। मुनि श्री प्रमाणसागर जी

Read More »

धर्म

अभाव में धर्म करना बड़ी बात नहीं, अभाव का एहसास न होना, धर्म की बात है । मुनि श्री प्रमाणसागर जी

Read More »

मुक्ति

इस काल में तो मुक्ति नहीं, तो धर्म क्यों करें ? लाइन में तो लग लें ! पर लाइन में लग कर क्या करोगे, जब

Read More »

संगति

लुहार सुबह अग्नि को पूजता है । बाद में उसी अग्नि को घन से पीटता है । कारण ? सुबह अग्नि एकाकी रहती है, बाद

Read More »

धर्म / अधर्म

अधर्म = बदला लेना, धर्म = अपने आपको बदल लेना। आर्यिका श्री पूर्णमती माताजी

Read More »

दृष्टि

दृष्टि पलटा दो, तामस समता हो और कुछ ना (तामस और समता, एक दूसरे को पलटाने से, यानि अंधकार में समता रखूं) आचार्य श्री विद्यासागर

Read More »

भय

भय से आयु कम होती है, 1घंटा भय की अवस्था में रहने से कहते हैं 2½घंटा उम्र कम हो जाती है। अपराधियों की तथा चिड़ियों

Read More »

संयम या संगति

या तो ख़ुद संयम/नियम ले लो, नहीं ले सकते तो संयमी की संगति कर लो। लक्ष्मण को क्रोध बहुत आता था, शांत राम की संगति

Read More »

मंगल आशीष

Archives

Archives

April 1, 2022

November 2024
M T W T F S S
 123
45678910
11121314151617
18192021222324
252627282930