Category: वचनामृत – अन्य
पाना
सिर्फ़ चाहने से पाया नहीं जाता, पाने की चाह छोड़ने से पाया जाता है/उस राह पर चलने से पाया जाता है । मुनि श्री प्रमाणसागर
दूरियाँ
पुस्तक को आँखों के बहुत करीब रखने से पढ़ नहीं पाओगे तथा आँखों में भी दर्द होने लगेगा । सांसारिक संबंधों में भी उचित दूरी
अर्थ/परमार्थ में संतुलन
जैसे बकरी के वज़न को संतुलित किया जाता है… खूब खिला कर शेर के पिंजरे के पास बांध कर, वैसे ही सांसारिक कार्यों के साथ
स्वतंत्रता-दिवस
देश के पतन का कारण … स्वतंत्रता के पहले की कर्म-भूमि को हमने स्वतंत्रता के बाद भोग-भूमि में बदल दिया है । मुनि श्री प्रमाण
नौकरी और धर्म
नौकरी के साथ धर्म का सामंजस कैसे बिठायें ? नौकरी को धर्म रूपी शरीर का अंग समझ कर । मुनि श्री सुधासागर जी
धन और धर्म
धन से धर्म कमाना (करना) अच्छा, धर्म से धन कमाना बुरा । अत: धन बुरा नहीं, यदि धन से धर्म कमाया जाय तो । मुनि
सच्चा गुरु
सच्चा गुरु वह जो शिष्यों के अनुसार ना चले (उन्हें खुश रखने), बल्कि शिष्यों को अपने/आगम के अनुसार चलाये । मुनि श्री सुधासागर जी
भक्ति से तृप्ति
जैसे मिठाई के नाम से ही मुँह में गीलापन आ जाता है/ तृप्ति सी लगने लगती है, ऐसे ही भक्ति से भगवान आ नहीं जाते,
समता भाव
यदि सामने वाला समता भाव के योग्य न हो तो ? समता भाव अपनी योग्यता के अनुसार धारण किया जाता है न कि सामने वाले
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