एक आदमी नरक से छुपता छिपाता खिसक कर स्वर्ग में पहुंच गया। स्वर्ग वालों ने पकड़ लिया और बहुत मारा।
निकलते समय बोला कि तुम्हारी इन्हीं हरकतों की वजह से कोई स्वर्ग में नहीं आना चाहता ।
(श्री धर्मेंद्र)
अच्छे लोगों को अपना चरित्र ऐसा प्रस्तुत करना चाहिये ,जिसे देख कर बुरे लोग भी प्रभावित हों ।
Need और Greed की Boundary Clearly Mark होनी चाहिये ।
गांधी जी से पूछा कि आप इतना कम क्यों पहनते हैं,
इतना कम क्यों खाते हैं ?
गांधी जी ने ज़बाब दिया कि “मैं उतना ही खाता और पहनता हूं,
जितना आज कि परिस्थिति में इस गरीब देश में मेरा हिस्सा है ।” Ambition Principles के साथ होना चाहिये । वैभव के प्रति Trusteeship की भावना होनी चाहिये ।
भगवान के अस्तित्व को ना मानने वाला ।
चिंतन
वर्तमान में ही यदि लिप्त रहे तो, भविष्य अंधकारमय हो जायेगा,
यदि कर्तव्यनिष्ठ रहे तो, भविष्य उज्जवल हो जायेगा ।
चिंतन
वैभव प्राय: भव्य जीवों के ज्यादा होता है ।
श्री लालमणी भाई
ग्वालियर में गुरू श्री से किसी ने पूछा कि जब सब मुनि बन जायेंगे तो चौका कौन लगायेगा ?
गुरू श्री ने कहा कि औरों का तो पता नहीं पर तुम जरूर लगाओगे ।
(श्री धर्मेंद्र)
कुंठित जीवों को सुकून दोगे तो कर्मों की निर्जरा होगी ।
जीवन में दो चीजें सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण हैं ।
1. परिणाम
2. परिमाण
मुनि श्री क्षमासागर जी ( कर्म कैसे करें ? )
संसार एक बिज़ूका ( खेत में खड़ा पुतला ) है, उसके साथ हमने अपने Relation स्थापित कर लिये हैं ।
भक्ति में Repetition है, ज्ञान में नहीं ।
चिंतन
यदि आप कहीं जा रहे हैं और बिल्ली रास्ता काट जाये तो इसका क्या मतलब है ?
बिल्ली भी कहीं जा रही थी !
(श्री धर्मेंद्र)
विदेशों में कई जगह बिल्ली का रास्ता काटना शुभ माना जाता है ।
कुछ दिन धर्म का अभ्यास करके घास फूंस (विकार/कषाय) हटाकर, क्षमा का पानी ड़ाल कर, जो खेत जोता (तप/संयम) है, उसे उसी Stage पर छोड़ दिया तो पहले से भी बुरे हाल में लौटोगे (मिला तो कुछ नहीं, पसीने पसीने हो गये) |
क्या Operation की Table पर लेट कर केवल पेट खुलवाकर वापस आओगे ?
धर्म का प्रयोग करके फसल का इंतज़ार तो करो ।
ड़ाकूओं ( पापोदय ) के आ जाने पर स्वीकार कर लें, वरना पैसे तो छीनेगें ही, मार ( आगे के कर्म बंध ) भी बहुत पड़ेगी ।
एक नाई लोगों की मालिश करते करते ऊब गया और दुःखी होकर कुंये में गिर कर अपनी जान दे दी ।
गिरने की आवाज सुन मेंढ़क के सरदार ने पता किया कि कौन गिरा,
और यह पता लगने पर कि नाई मरा है, उसने नाई को बुलवा कर अपनी मालिश शुरू करवा दी ।
श्री लालमणी भाई
कर्म कभी समाप्त नहीं होते, आत्मघात करने से भी नहीं, बढ़ ही जाते हैं ।
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