Category: वचनामृत – मुनि श्री क्षमासागर
भक्ति
भक्ति हमें आलसी या अहंकारी नहीं बनाती, बल्कि सच्चा पुरुषार्थ करने की प्रेरणा देती है । गुरुवर मुनि श्री क्षमासागर जी
प्रदर्शन
आओ देखो, जो तुम्हारे पास नहीं है, मेरे पास है । गुरुवर मुनि श्री क्षमासागर जी
एकत्व
हम किसी के साथ रहते हैं/चलते हैं, यह संयोग है । वह हमें सहयोग देता है तो उसे हम साथी कहते हैं । पर क्या
रागद्वेष और विरक्ति
आपको किन्ही दो के बीच में राग दिख रहा है तो मानना आपको द्वेष है, और यदि द्वेष दिख रहा है तो आपका राग छिपा
अनुराग
धर्मानुराग – धर्म के प्रति ऐसा अनुराग जो विपत्ति में भी बना रहे । गुरुवर मुनि श्री क्षमासागर जी (अंधानुराग – अधर्म को भी धर्म
संसार
अपने पराये का भेद ही संसार है । असल में ना कोई अपना है, ना पराया; सब अपने अपने हैं । गुरुवर मुनि श्री क्षमासागर जी
धर्म / दर्शन / अध्यात्म
धर्म को विचार, दर्शन को विश्वास, और आध्यात्म को आचरण कहते हैं । गुरुवर मुनि श्री क्षमासागर जी
चोरी और अचौर्य
बिना अनुमति दूसरे की चीज़ लेना चोरी, पर बिना अनुमति, दूसरे की वस्तु के ग्रहण का, भाव भी नहीं करना, अचौर्य – धर्म । गुरुवर
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