Category: वचनामृत – मुनि श्री क्षमासागर

विज्ञान

सत्य की खोज में किये गये effort का नाम विज्ञान है । गुरुवर मुनि श्री क्षमासागर जी

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मोक्षमार्ग

समता की साधना और चारित्र की पवित्रता ही मोक्षमार्ग को प्रशस्त करती है । गुरुवर मुनि श्री क्षमासागर जी

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परोपकार

मशाल बनें, जो स्वंय प्रकाशित होती है तथा दूसरों को भी प्रकाशित करती है । कम से कम, गीली लकड़ी ना बनें जो खुद भी

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श्रद्धा

श्रद्धा बेशक और बेतर्क होनी चाहिये, श्रद्धा की ज्योति अपनी ही सांसों से बुझती है, अहंकार से श्रद्धा गिर जाती है, अहंकार और स्वाभिमान छोड़कर,

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भविष्य

हम जिस तरह आज जीते हैं, उसी तरह आगे के जीने के लिये भी हम तैयारी कर लेते हैं । (इस जन्म में तथा अगले

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परवाह

अभी मुझे और धीमे कदम रखना है, अभी तो चलने की आवाज़ आती है । “अपना घर” – मुनि श्री क्षमासागर जी

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दान

दान देने की planning मत करो, दान देने की आदत बना लो । गुरुवर मुनि श्री क्षमासागर जी

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दान

एक कंजूस सेठ थे। धर्म सभा में आखरी पंक्ति में बैठते थे। कोई उनकी ओर ध्यान भी नहीं देता था। एक दिन अचानक उन्होंने भारी

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मंगल आशीष

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