Category: वचनामृत – मुनि श्री क्षमासागर
संवेदना
March 12, 2016
जहाँ तरलता थी, मैं डूबता चला गया ; जहाँ सरलता थी, मैं झुकता चला गया ; संवेदनाओं ने मुझे जहाँ से छुआ, मैं वहीं से
असाधारणता
February 20, 2016
असाधारण कहलाने की चेष्टा न करें, बल्कि साधारण रहकर असाधारणता को हासिल करें ।
सत्य
February 16, 2016
सत्य की भूख तो सबको होती ही है. पर.. जब सत्य परोसा जाता है तो बहुत कम लोगो को उसका स्वाद पसंद आता है। यदि
देवदर्शन
November 12, 2015
भगवान के दर्शन करते समय उनकी ओर पीठ नहीं होनी चाहिये क्यों ? 1) भगवान का अपमान न हो 2) संसार को पीठ दिखाकर आने
मान/अपमान
September 16, 2015
अपमान सहना कठिन है, पर मान को सहना उससे भी कठिन है । गुरुवर मुनि श्री क्षमासागर जी
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