Category: वचनामृत – मुनि श्री क्षमासागर

विसर्जन

जब ग्रहण अनासत्ति भाव से होगा, तभी छोड़ पाओगे । गुरुवर मुनि श्री क्षमासागर जी (आत्मान्वेषी)

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दान/परोपकार

हमारा तो बस वह है जो हम किसी को देते हैं, जैसे दान/परोपकार । किसी से छीना हुआ हमारा कैसे हो सकता है ? गुरू

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उत्तम त्याग धर्म

आप आम को खाने से पहले उसे दबा दबा कर ढ़ीला करते हैं, फिर उसके ऊपर से टोपी (ड़ंठल) हटाते हैं, खाने से पहले चैंप

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उत्तम सत्य धर्म

सत्य कभी कड़ुवा होता ही नहीं, बड़ी अजीब बात है !!  अभी तक तो हम सुनते आ रहे हैं कि सत्य कड़ुवा होता है । जब

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नीति/अनीति

नीति से चपरासी बनना भी मंज़ूर होना चाहिए, अनीति के साथ चक्रवर्ती बनना भी उचित नहीं । गुरुवर मुनि श्री क्षमासागर जी

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नाव

जो नाव मुझे उस पार ले जायेगी, एक दिन, उस पार पहुंचकर, उसे भी छोड़ना होगा । ये जानते हुये भी, मन नाव से कितना

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संस्कृति

संस्कृति वह है जो संस्कारित करे । गुरुवर मुनि श्री क्षमासागर जी

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धनतेरस

धनतेरस को जैन आगम में धन्य-तेरस या ध्यान-तेरस भी कहते हैं । भगवान महावीर इस दिन तीसरे और चौथे ध्यान में जाने के लिये योग

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परपीड़ा

हमें मालूम ना था कि आग इतनी गरम होती है, पता तब चला जब हमारा खुद का घर जला । गुरुवर मुनि श्री क्षमासागर जी

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मंगल आशीष

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