Category: वचनामृत – मुनि श्री क्षमासागर

तपादि के कष्ट

तपादि के कष्ट वैसे ही हैं जैसे फोड़े को ठीक करने के लिये डाक्टर फोड़े को फोड़ता है/कष्ट होता है । गुरुवर मुनि श्री क्षमासागर

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विकास

बाह्य विकास करने की मनाही नहीं है, पर उसे Ultimate मत मानो । आंतरिक विकास बहुत महत्वपूर्ण और उपयोगी है । गुरुवर मुनि श्री क्षमासागर

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आकांक्षा

छोटा सा कंकड़ तालाब में खुद तो डूब जाता है पर लहरें दूर-दूर तक छोड़ जाता है, जो पूरे वातावरण को हिला देती हैं ।

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तपादि के कष्ट

तप आदि के कष्ट वैसे ही हैं, जैसे फोड़े को ठीक करने के लिये डॉक्टर पहले फोड़े को फोड़ता है/कष्ट होता है । उपचार करा

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स्वस्थ

स्व स्थित: स्वस्थ: जो अपने में स्थित है, वही स्वस्थ है । गुरुवर मुनि श्री क्षमासागर जी

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समय/जीवन बर्बाद

एक भिखारी सिर्फ सिक्के उठाता था, नोट वापस कर देता था । सब लोगों ने खेल बना लिया, वह बड़े बड़े नोट लौटा देता था

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सामूहिक / व्यक्तिगत

अधिक प्रकाशित दीपक वाले के साथ चलने में लाभ तो है, पर जब वह अपने रास्ते या अपनी चाल से चलकर आपसे अलग हो जायेगा

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मंगल आशीष

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