Category: वचनामृत – मुनि श्री क्षमासागर

आर्जव धर्म

मायाचारी का अभाव । 2) ईमानदारी, उन्मुत्त हृदय, स्पष्टवादिता, सादगी, भोलापन, सरलता ही आर्जव धर्म है । ईमानदारी की नाव पर तो हम सब सवारी

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क्षमा धर्म

1) क्रोध आने के कारण… * मनोवृत्ति * आसक्ति * अपेक्षा गुरवर श्री क्षमासागर जी 2) क्रोध पर क्रोध करने से क्रोध कम नहीं होगा, क्षमा

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Denial of Reality

Since childhood we are made used to Denial of reality. For us to raise our life to a new height, we need to over-come this

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रूठना

मैं रूठा, तुम भी रूठ गए फिर मनाएगा कौन ? आज दरार है, कल खाई होगी फिर भरेगा कौन ? बात छोटी को लगा लोगे

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समता

जिसकी नहीं बनी घर में, वो क्या करेगा वन में ! (अरुणा)

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मोह

फलदार पेड़ों से फल गिरते रहते हैं, पर नये नये फल लगते रहते हैं । क्यों ? क्योंकि मोह की जड़ें बड़ी गहरी हैं, वे

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संसार के सुख दु:ख

दो बच्चे देरी से स्कूल पहुँचे । कारण ! पहले का सिक्का गिर गया था । दूसरा सिक्के पर पैर रक्खे खड़ा रहा था ।

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अपना

जिसे पाकर लगे कि अपने को पा लिया, समझना कि वह अपना है; जिसे पाकर लगे कि अपने को खो दिया, तो मानना कि वह

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मंगल आशीष

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