Category: अगला-कदम

कर्ता

निश्चय-नय से जिस वस्तु में परिणमन होता है, वही वस्तु उस परिणमन की कर्ता भी होती है । 1. शुद्ध निश्चय-नय से शुद्ध भावों का

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कर्म का विभाजन

जिस अनुभाग व स्थिति से कोई कर्म-बंध होता है, उसी अनुभाग व स्थिति से 7 कर्मों में विभाजन होता है । पं. रतनलाल बैनाड़ा जी

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पुण्य

पुण्य सर्वथा हेय नहीं, श्रावकों के लिये पापानुबंधी हेय है पर पुण्यानुबंधी उपादेय है । मुनि श्री सुधासागर जी

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भोगभूमि और कल्पवृक्ष

अढ़ाई द्वीप के बाहर की भूमि में कल्पवृक्ष नहीं होते हैं क्योंकि वहाँ मनुष्य नहीं रहते हैं और तिर्यंचों को कल्पवृक्ष चाहिये नहीं । प्रकाश

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कर्ता / उपादान / निमित्त

क्रोध आया, इसमें कर्ता आदि को कैसे घटित करें ? क्रोध करती है आत्मा, निमित्त है कर्म, साधन – अपशब्द कहने वाला । कर्ता दो

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मुमोक्षु

जो छोड़ने/छूटने का इच्छुक हो । (यदि मोक्ष का इच्छुक मानें तो ८वें गुणस्थान से मुमोक्षु परिभाषा घटित नहीं होगी ) मुनि श्री प्रमाणसागर जी

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मंगल आशीष

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