Category: अगला-कदम

प्रशम

सम्यग्दृष्टियों के प्रशम भाव कैसे ? प्रशम भाव के दो भेद – 1. नारकियों/गृहस्थों/त्रियंचों/देवों का, जिसमें विरोधी हिंसा का त्याग नहीं । 2. मुनियों का

Read More »

असाता और भूख

असाता से भूख लगती है , भूख ना लगना, तीव्र असाता से । मुनि श्री प्रमाणसागर जी

Read More »

वेदनीय की स्थिति

असाता का उत्कृष्ट उदय 33 सागर (7वें नरक में), पर इस अवधि में साता का भी उदय आ सकता है, परन्तु जघन्य होने से उसका

Read More »

नील लेश्या

नील लेश्या पूरा (जान से) तो नहीं मारती पर कुछ करने योग्य भी नहीं छोड़ती (जैसे हाथ पैर कट जाना) । मुनि श्री  विनिश्चयसागर जी

Read More »

रागद्वेष

रागद्वेष औदायिक भाव हैं । इनके लिये बाह्य निमित्त (मन भी हो सकता है) आवश्यक है । मुनि श्री समयसागर जी

Read More »

श्रुतज्ञान

केवलज्ञान के लिये द्रव्य-श्रुत की आवश्यकता नहीं, जैसे शिवभूति महाराज का श्रुतज्ञान । पर भाव-श्रुत पूरा होना चाहिये । मुनि श्री समयसागर जी

Read More »

कुभोग भूमि

कुभोग भूमि में कल्पवृक्ष नहीं होते, फलफूल बहुतायत में । मनुष्य/त्रिर्यंच युगलिया पैदा होते हैं । पं. रतनलाल बैनाड़ा जी

Read More »

बंध / कर्मक्षय

10 वें गुणस्थान में मोहनीय का क्षय हो रहा है पर बाकी ३ घातिया कर्मों का बंध भी हो रहा है । मुनि श्री सुधासागर

Read More »

कर्म / नोकर्म

“कर्म” परिवर्तित करता है, “नोकर्म” प्रभावित करता है, “संकल्प” इनके Effect को Neutralize करता है ।

Read More »

नोकर्म वर्गणायें

द्रव्य, काल, क्षेत्र, भव, भावों के अनुसार नोकर्म वर्गणायें मिलती हैं जैसे अफ़्रीका में काले रंग की नोकर्म वर्गणायें । मुनि श्री प्रमाणसागर जी

Read More »

मंगल आशीष

Archives

Archives

October 2, 2018

November 2024
M T W T F S S
 123
45678910
11121314151617
18192021222324
252627282930