Category: वचनामृत – अन्य
कर्तव्य / कर्तृत्व
कर्तव्य – सामने वाले को एक बार समझाना, कर्तृत्व – बार-बार कहना/ पीछे पड़े रहना। निर्यापक मुनि श्री सुधासागर जी
सोच
आज के युवाओं का सोच – Enjoy. अध्यात्म का – In-Joy. मुनि श्री प्रमाणसागर जी
मोह
एक बार जब कोई धोखा देता है तो हमें गुस्सा आता है। किन्तु मोह हमें जीवन-भर धोखा देता रहा उस पर हमें प्रेम क्यों आता
धन-दान
धन का दान किस श्रेणी (आहार, औषधि, शास्त्र, अभय/ आवास) में आयेगा ? धन जिस श्रेणी के लिये उपयोग किया जायेगा, उसी श्रेणी में आयेगा।
उदारता
सूरज उनको भी प्रकाशित करता है जो उसे सम्मान नहीं देते। बस प्रकाश को ग्रहण करने का पुण्य होना चाहिये (आँखों में देखने की क्षमता)
विनम्रता
घमंड की अनुपस्थिति का नाम विनम्रता है। मुनि श्री विनम्रसागर जी
आयोजन
आयोजनों से यदि मन की विशुद्धि बढ़ानी है तो आयोजन करने का प्रयोजन ध्यान में रखना होगा। मुनि श्री प्रमाणसागर जी
आवास
आवास दान करने से अच्छा आवास मिलता है। यह दान चार श्रेणियों के लिये किया जाता है – 1. मंदिर – भगवान के लिये 2.
धर्मी को कष्ट
धर्म करने से कष्ट बढ़ते नहीं, कष्ट निकलते हैं। जैसे डाक्टर फोड़ा ठीक करने के लिये फोड़े को दबाकर उसकी गंदगी निकालता है। उस समय
धार्मिक ज्ञान
धार्मिक ज्ञान की उपयोगिता वैसी ही है जैसी शुरू में पढ़ी गणित की इंजीनियरिंग आदि में। 1. धार्मिक ज्ञान से जीवों का पता लगता उनकी
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