Category: वचनामृत – अन्य

आराम या …

देश को आराम की नहीं, आ-राम की जरूरत है। निर्यापक मुनि श्री सुधासागर जी

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तेज़ गति

वाहन जितनी तेज़ी से चलेगा, धूल भी उतनी तेज़ी से/ ज्यादा उड़ेगी। धूल में दिशा-भ्रम भी हो जाता है। मुनि श्री प्रमाणसागर जी

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उत्तम ब्रह्मचर्य/ क्षमावाणी

संयम फूल है, ब्रह्मचर्य फल। आजकल ब्रह्मचारी तो भ्रम है, आदर्श देखना है ब्रह्मचारी नीलेश भैया को देखें। क्षमा मांगनी है तो अपनी वासना से

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उत्तम ब्रह्मचर्य धर्म

मेरे काॅलिज के समय मेरी बुआ जी ने ब्रह्मचर्य व्रत लिया था। ब्रह्मचर्य क्या होता है ? समझाने बुआजी ने एक ओर मुझे बैठाया दुसरी

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उत्तम आकिंचन्य धर्म

आकिंचन्य यानी किंचित भी मेरा नहीं। सत्य को सत्य स्वीकारना। इसमें कुछ करना नहीं है। राग द्वेष से मुक्ति का नाम आकिंचन्य है। ———————————————– ज्यों

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उत्तम त्याग धर्म

त्याग पूर्ण का, साधुओं के द्वारा। दान आंशिक, गृहस्थों द्वारा। क्योंकि उनसे घर के कामों में हिंसा/ पाप हो ही जाती है। उसके प्रक्षालन के

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उत्तम तप धर्म

घी दूध को तपाने पर प्राप्त होता है, हलकी-हलकी आग, सुपात्र(मिट्टी) में तपाने से ज्यादा तथा सुगन्धित घी मिलता है। ऐसे ही नर से नारायण

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उत्तम संयम धर्म

संयम चिमनी है, ज्ञान के दीपक को बाहरी हवाओं/ स्वयं की साँसों से बचाने तथा प्रकाश बढ़ाने के लिए। राजा का महल जल गया पर

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उत्तम सत्य धर्म

सत्य तो आत्मा का स्वभाव है। तभी बोला जा सकता है जब रागद्वेष ना हो। ———————————————– झूठ वह जिसे बोलने से पहले सोचना पड़े। सत्य

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उत्तम शौच धर्म

शौच धर्म = अलोभ। इच्छायें जमीनी धरातल से मेल नहीं खाती, उस Gap को कम करते जाना शौच-धर्म है। लोभ = जो मेरा नहीं, वह

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मंगल आशीष

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