Category: वचनामृत – अन्य

विश्वास

ताकतवर से प्राय: कहते हैं – “एक दिन मेरा भी आयेगा” यही बात विश्वास के साथ कभी भगवान से कह कर देखो, एक दिन ख़ुद

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Balanced Life

मंदिर/ दिन में धर्मध्यान, व्यवसाय/ रात में, बेईमानी/ मस्ती ये Balanced Life नहीं कही जा सकती। धर्म/ ईमानदारी के साथ सीमित Enjoyment Balanced Life कही

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महान

1) हम गुरु को जितना याद करेंगे, उतने हम महान बनेंगे। 2) गुरु जितना हमें भूलेंगे, उतने वे महान बनेंगे। मुनि श्री सुधासागर जी

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स्नातक

“स्नात” यानि नहाना। स्नातक “स्नात” शब्द से बना है। इसीलिये भगवान (अरहंत) को स्नातक कहते हैं, जिन्होंने कर्मों (आत्मा का घात करने वाले) को धो

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Ego

Ego से झंडा-डंडा, शास्त्र-शस्त्र, बांसुरी-बांस, निर्जरा (कर्म काटना/समाप्त होना) से निकाचित/निद्यत्ति (कर्मों की तीव्र/घातक प्रकृतियाँ) कर्म बन जाते हैं। निर्यापक मुनि श्री वीरसागर जी

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क्रिया

क्रिया = जल छानना। अर्थ-क्रिया = जीवों की रक्षा के भाव से, जल छानना। निर्यापक मुनि श्री वीरसागर जी

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मरण

सुमरण…. भगवान का नाम लेते हुए मरण। समाधि मरण…. क्रमश: भोजनादि छोड़ते हुए भगवान के स्मरण के साथ मरण। मुनि श्री प्रमाणसागर जी

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मुखौटे

शेर का मुखौटा लगा कर बच्चा माँ को डरा नहीं पाता क्योंकि माँ तो असली चेहरे को जानती है। भगवान भी तो असली चेहरे को

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अंतरंग का महत्व

Label बाह्य और Level* अंतरंग, प्राय: अलग-अलग। बाह्य का Label मिट भी जाय तो भी अंदर की दवा काम करेगी। Label कितना भी सुंदर हो

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मंदिर का महत्व

नित्य मंदिर के दर्शन क्यों ? 1. नित्य स्कूल जाते हैं पढ़ने के लिये, मंदिर जाते हैं अपने को गढ़ने के लिये। 2. जैसे प्रियजन

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मंगल आशीष

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