Category: वचनामृत – अन्य

उत्तम संयम

संयम क्या है ?… होश पूर्वक जीना/ जागृत रहना/ बाह्य पदार्थों से अप्रभावित रहना। इसके दो भेद… इंद्रिय निरोध, दूसरा प्राणी संयम। लाभ… विल-पावर बढ़ती

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उत्तम सत्य

झूठ न बोलना तथा हित, मित, प्रिय बोलना ही सत्य है। जैसे सुंदर/ अच्छे पक्षियों को पिंजरे में बंद कर दिया जाता है और वे

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उत्तम शौच

शौच-धर्म यानी लोभ का अभाव। लोभी शिकायतों के साथ पैदा होता है और असंतोष के साथ मरता है। चारों कषाय (क्रोध,मान,माया,लोभ) कुलीन नहीं हैं फिर

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उत्तम आर्जव

आर्जव-धर्म यानी सरलता/ चिंतन कुछ संभाषण कुछ क्रिया कुछ की कुछ होती है। कभी न कभी कपटी के पट खुलते ही हैं जैसे शकुनि मामा।

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उत्तम मार्दव

मार्दव यानी मान का उल्टा/ मृदुलता। मनुष्य पर्याय में मान की बहुलता होती है जैसे जानवरों में मायाचारी की। कैसे प्राप्त करें मार्दव ? करता

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उत्तम क्षमा

1) क्षमा शब्द में “क्ष” से क्षय/ खत्म होना। “मा” से माँ बचाने वाली, जो गुणों को क्षय होने से बचाए। 2) क्षमा मोक्ष का

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संस्कृति

भारतीय संस्कृति मानवतावादी, पाश्चात्य मानववादी (मानव के लिये कितने भी जीवों का संहार करना पड़े तो करो)। निर्यापक मुनि श्री सुधासागर जी

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व्रत

व्रत निधि है, विरति निषेध*। आर्यिका श्री पूर्णमति माताजी (19 अगस्त 2024) * पापों को ना कहना/ नहीं करना।

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मोह

एक राजा ने चित्रकारों की एक प्रतियोगिता कराई। इसमें किसी ने खेत दिखाया, इतना सजीव कि गाय भ्रमित हो गई। किसी ने फूल दिखाये तो

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गृहस्थ

गृहस्थ चावल जैसा है, पूजा की सामग्री में पुजारी, घर में खिचड़ी, गरीब को दान करते समय साहूकार/ माँ रूप। निर्यापक मुनि श्री सुधासागर जी

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मंगल आशीष

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September 13, 2024

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