Category: वचनामृत – अन्य
उत्तम आकिंचन्य
मैं और मेरापन/ पुराने विचारों को छोड़ना भी आकिंचन्य/ अपरिग्रह है। शक्ति दो प्रकार की होती हैं… एक स्मरण-शक्ति जैसे पुराने विचार, दूसरी दर्शन-शक्ति यानी
उत्तम त्याग
संपूर्ण वस्तु/ वस्तुओं को छोड़ना त्याग है। दान और त्याग में अंतर… दान पराधीन है, इसमें परिग्रह रह जाता है, विकल्प होते हैं, अच्छी और
उत्तम तप
इच्छा निरोध/ अपेक्षा निरोध/ पर वस्तुओं को छोड़ने को तप कहते हैं। जैसे-जैसे तप पढ़ेगा इच्छाएँ कम होंगी। इच्छा शक्ति अनंत है, पुण्य काफ़ी हो
उत्तम संयम
संयम क्या है ?… होश पूर्वक जीना/ जागृत रहना/ बाह्य पदार्थों से अप्रभावित रहना। इसके दो भेद… इंद्रिय निरोध, दूसरा प्राणी संयम। लाभ… विल-पावर बढ़ती
उत्तम सत्य
झूठ न बोलना तथा हित, मित, प्रिय बोलना ही सत्य है। जैसे सुंदर/ अच्छे पक्षियों को पिंजरे में बंद कर दिया जाता है और वे
उत्तम शौच
शौच-धर्म यानी लोभ का अभाव। लोभी शिकायतों के साथ पैदा होता है और असंतोष के साथ मरता है। चारों कषाय (क्रोध,मान,माया,लोभ) कुलीन नहीं हैं फिर
उत्तम आर्जव
आर्जव-धर्म यानी सरलता/ चिंतन कुछ संभाषण कुछ क्रिया कुछ की कुछ होती है। कभी न कभी कपटी के पट खुलते ही हैं जैसे शकुनि मामा।
उत्तम मार्दव
मार्दव यानी मान का उल्टा/ मृदुलता। मनुष्य पर्याय में मान की बहुलता होती है जैसे जानवरों में मायाचारी की। कैसे प्राप्त करें मार्दव ? करता
उत्तम क्षमा
1) क्षमा शब्द में “क्ष” से क्षय/ खत्म होना। “मा” से माँ बचाने वाली, जो गुणों को क्षय होने से बचाए। 2) क्षमा मोक्ष का
संस्कृति
भारतीय संस्कृति मानवतावादी, पाश्चात्य मानववादी (मानव के लिये कितने भी जीवों का संहार करना पड़े तो करो)। निर्यापक मुनि श्री सुधासागर जी
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