Category: वचनामृत – अन्य
गुणग्राही
गुण अवगुण सब में होते हैं। महत्त्वपूर्ण है कि पहली दृष्टि हमारी गुणों पर पड़ती है या अवगुणों पर। यदि गुणों पर है तो हम
निष्पक्ष
पक्षी ऊंचाइयाँ पाने बारी-बारी से दोनों पंखों को ऊपर नीचे करता है, दोनों को बराबर महत्त्व देता है। यदि एक पंख को ही ऊपर नीचे
खटास
पानी दूध से अच्छे से संबंध निभाता है – पानी का मूल्य दूध के बराबर हो जाता है, दूध को जब ज़रूरत से ज्यादा उबाला
धर्म
महावीर भगवान ने सृष्टि के अनुरूप अपनी दृष्टि बनायी। बौद्ध आदि जैसा महावीर भगवान के नाम से कोई धर्म नहीं बना। दया, चारित्र, वस्तु के
मैं
मैं के साथ विशेषण “अह्म” को जन्म देता है, हटते ही/”मैं” को “मैं रूप” देखते ही “अर्हम” आ जाता है। “अह्म” से “अर्हम” तक की
गरीब
अमीर भी गरीब तब बन जाता है जब उसे अपने से ज्यादा अमीर की अमीरी दिखने/खलने लगती है। मुनि श्री प्रमाणसागर जी
सही निर्णय/ समय
एक कंजूस सेठ ने सही निर्णय लिया कि वह अपनी सम्पत्ति दान कर देगा। पूछा कब कर रहे हो? मरने के बाद। हंसी का पात्र
संगठन
टेकड़ी गांव के एक परिवार में 58 सदस्यों में एक चूल्हा। संगठन का रहस्य जानने एक पत्रकार घर के बड़े सदस्य के पास पहुँचा तो
स्वाभिमान / अभिमान
स्वाभिमान…. पद की गरिमा बचाये रखने की सावधानी। अभिमान…… मान की चाहना। मुनि श्री प्रमाणसागर जी
प्रसिद्धि
प्रसिद्धि और विवाद एक दूसरे के पूरक हैं। मुनि श्री सौम्यसागर जी
Recent Comments