Category: वचनामृत – अन्य
घर वापसी
गायें शाम को लौटतीं हैं। उस बेला को गोधूलि कहते हैं। वह शुभ मानी जाती है, क्योंकि गायें अपने प्यार को सँजो कर बच्चों से
कर्म-फल
यह दो प्रकार का है – 1. बाह्य – जो दिखता भी है – वैभव के रूप में। 2. अंतरंग – जो दिखता नहीं, पर
कमज़ोरियाँ
एक कम्पनी की Board Meeting में Director ने कम्पनी की Growth पर चर्चा ना करके, कम्पनी के Fail होने के कारणों पर चर्चा की। कहा
स्वावलम्बन
सांप के भय से गुरु से गरुडी मंत्र मत पढ़वा लेना, वरना रस्सी ही सांप बन जायेगी। थोड़ी बीमारी का ज्यादा रोना डॉक्टर से मत
साधु
साधु देखते हुये भी देखता नहीं, या उसमें कुछ और देख लेता है, जैसे कोई काम की वस्तु। सुनते हुये भी सुनता नहीं, या और
निमित्त और पुरुषार्थ
निमित्त तो दियासलाई की काढ़ी के जलने जैसा है: उतने समय में अपना दीपक जला लिया, तो प्रकाशित हो जाओगे; वर्ना गुरु ज़्यादा देर रुकते
नियंत्रण
बुरा मत बोलो, देखो, सुनो के लिये बहुत मेहनत करनी पड़ती है/दोनों हाथ से मुंह, आंख, कान बंद करने होते हैं। मुनिराज ने कहा –
मालिक
कैसी विडम्बना है कि हम जीवन-पर्यंत अपने आपको उन चीज़ों का ही मालिक मानते हैं, जो हमें बुढ़ापे में सबसे ज़्यादा परेशान करती हैं; हमारी
धर्म / नियम
धर्म कहता है – मरने से मत डरना (….मृत्यु आज ही आजाये….) । फिर कोरोना से धर्मात्मा क्यों डरता है ? नियम टूटने से ।
भावना
सोमवार – सोम (चंद्र) शीतलता; मंगल – मंगलमय; बुध – ज्ञान; गुरुवार – गुरु का दिन; शुक्रवार – भगवान को शुक्रिया; शनिवार – शनि पर
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