Category: डायरी
जिंदगी की दौड़
जिस दिन आपको यह अनुभव हो जायेगा कि… “सब दौड़ व्यर्थ है”। उस दिन आप उसी जगह पर खड़े रह जाते हैं, जहाँ परमात्मा है।
अनर्थ परंपरा
अनर्थ परंपरा की संभावना निम्न स्थिति में होती है → गर्भ से ऐश्वर्य, नया-नया यौवन, अति सुंदरता, अमानुषिक शक्ति। (ऐसी स्थिति में सावधान रहें) विनोद
शेष
ज़िंदगी जो “शेष” बची है, उसे “विशेष” बनाइये वरना उसे “अवशेष” बनने में देर नहीं लगेगी। (डॉ. सविता उपाध्याय)
बिम्ब / प्रतिबिम्ब
बिम्ब से प्रतिबिम्ब बनता है, लेकिन प्रतिबिम्ब से बिम्ब की पहचान होती है। (रेणु- नया बाजार मंदिर)
क्रोधादि
बीमार को देखकर/ सम्पर्क में आने पर बीमार होना पसंद नहीं करते हो। तो क्रोधी आदि के सम्पर्क में आने पर क्रोध आदि क्यों ?
पर्युषण…उत्तम क्षमा धर्म
क्षमा दो प्रकार से …. 1) नया क्रोध नहीं करना। 2) पुराने बैरों को समाप्त करके। कैसे ? पूर्व समय/ जन्म में किये गए अपने
स्वार्थ
हे स्वार्थ ! तेरा शुक्रिया। एक तू ही है, जिसने लोगों को आपस में जोड़ रखा है। (सुरेश)
उपयोगिता
दर्पण का मूल्य भले ही हीरे के सामने नगण्य हों, पर हीरा पहनने वाला दर्पण के सामने ही जाता है। (एन.सी.जैन- नोएडा)
सुख / दु:ख
सुख/ दु:ख एक ही बगिया के पौधे हैं। इन्हें लगाने/ सींचने/ संवारने/ बढ़ाने वाले माली हम खुद ही हैं। (सुरेश)
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