Category: डायरी
संसार / मोक्ष
ज्ञान + मोह = संसार, ज्ञान – मोह = मोक्ष। आर्यिका श्री पूर्णमति माता जी (24 अक्टूबर)
दुःख
कुछ दुःख Unavoidable होते हैं जैसे शारीरिक अस्वस्थता, आर्थिक, सामाजिक। पर ज्यादा दुःख Avoidable/ self-created/ हमारा चयन होता है, Actual में वे दुःख होते ही
कर्म काटना
दिगंबर साधु तपस्या में लीन थे। चोर नग्न साधु को अपशकुन मानकर उपसर्ग करने लगा। उपसर्ग समाप्त होने पर साधु ने चोर से कहा –>
प्रभु की खोज
प्रभु खोजने* से नहीं मिलते हैं। उनमें खो-जाने** से मिलते हैं। (डॉ. सविता उपाध्याय) * ज्ञान। ** श्रद्धा/ भक्ति।
व्यक्ति / अभिव्यक्ति
प्रश्न यह नहीं कि शक्ति कितनी है, सामग्री या संपत्ति कितनी है! प्रश्न है कि व्यक्ति कैसा है? यह तीनों साधन तो अधम को भी
अनादर
यदि कोई एक बार हमारा अनादर कर देता है, तो उस अनादर को हम सौ बार दोहराते हैं। यदि वह दंड का अधिकारी है, तो
ज्ञानी
जो चीज़ों को नज़रअदाज़ करे/ करने का प्रयास करे, वही ज्ञानी। ब्र. डॉ. नीलेश भैया
संसार-चक्र
शेर की मांद के बाहर जानवरों के आने के ही पदचिह्न दिखते हैं, लौटने के नहीं। संसार में एक बार घुसने पर विरले ही निकल
अंतरंग
गांधीनगर अक्षरधाम में पहली मूर्ति एक व्यक्ति की, अधबनी मूर्ति में पत्थर में से छेनी/हथौड़े से अपने आप की सुंदर सी मूर्ति बना रहा है।
पुण्य / पाप
चोरी* करने की अनुकूलता/ कर पाना/ सफलता मिलना पुण्योदय से। चोरी करने में पाप-बंध। फल ? पापोदय जैसे असाध्य रोग/ दुर्गति/ गरीबी आदि। आर्यिका श्री
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