Category: पहला कदम
मनुष्यों के प्रकार
1) भगवान को जानते ही नहीं… अज्ञानी। 2) भगवान के सही स्वरूप को नहीं जानते… मिथ्यादृष्टि। 3) भगवान को सही रूप में जानते हैं… सम्यग्दृष्टि।
अनंत-चतुष्टय
एक बार अनंत-चतुष्टय प्राप्त कर लिया फिर कभी उन गुणों का नाश नहीं होता। प्रवचन आर्यिका श्री पूर्णमति माता जी सही तो है, अनंत का
व्रत/ विरति
व्रत निधि है, विरति निषेध। स्वाध्याय सान्निध्य आर्यिका श्री पूर्णमति माता जी (19 अगस्त)
आकार
वर्ण, गंध, शब्द, स्पर्श, रस का भी आकर है क्योंकि ज्ञान का विषय साकार होता है। आचार्य श्री विद्यासागरजी (भगवती आराधना भाग 1,गाथा 4,पेज 53)
णमोकार
श्री मुलाचार जी में कहा है की अंत में णमोकार मंत्र ही काम आने वाला है। इसलिए उसके बोलने/ चिंतन करने के इतने संस्कार डाल
सुख
जब संसार में सुख नहीं है तो हम जियें किसके लिये ? जियो उन संसारी कर्त्तव्यों को पूरा करने के लिये जिस संसार को आपने
अणु / स्कंध
8 प्रकार के स्पर्शों में से अणु में 2 गुण (एक बार में) स्निग्ध/ रूक्ष में से एक तथा शीत/ उष्ण में से एक। स्कंध
पूजादि
धार्मिक क्रियाओं में “पहले मैं करूँ” की भावना प्रायः अहंकार सहित होती है सो मिथ्यात्व का कारण, हालांकि पुण्य बन्ध तो होगा। यही किया ज्ञानी
लेश्या
कल्पवासी में जन्म लेने के लिए सम्यग्दर्शन हो या ना हो, किन्तु शुभ लेश्या का नियम है। अन्त समय में यदि अशुभ लेश्या हो गई
वैमानिक देव
सम्यग्दर्शन की अपेक्षा से नहीं किंतु शुभलेश्या के कारण वे विमानवासी देव माने जाते हैं। मान सम्मान के साथ वहां पर रहते हैं इसीलिए उनको
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