Category: वचनामृत – अन्य

कठोरता / मृदुलता

कठोरता से निर्माण, मृदुलता से कल्याण। जैसे फोड़े को फोड़ते कठोरता से, उपचार मृदुलता से। अपना फोड़ा फोड़ो, दूसरे पर मलहम लगाओ। मुनि श्री प्रमाणसागर

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भगवान से मिलन

मैं खोज रहा था प्रभु को वे खोज रहे थे मुझे। अचानक एक दिन मिल गए। न मैं झुका, न वे झुके। न वे बड़े

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भय

छूटने की कल्पना से ही भय होता है, वैभव/ शरीर/ प्रियजनों के छूटने का भय। यदि इन सबको नश्वर मान लो और आत्मा को अनश्वर

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राजनीति

राजनीति अच्छी या बुरी ? राजनीति राजा की नीति, राजा अच्छा तो नीति अच्छी, राजा बुरा नीति बुरी। निर्यापक मुनि श्री सुधासागर जी

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मन

मन कोमल होता है तब ही तो आकार ले लेता है गर्म लोहे की तरह, झुक जाता है तूफानों में। घुल जाता है अपनों में

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चाह

चाह बुरी नहीं, यह तो नाव की गति के लिये आवश्यक जलप्रवाह है। पर वह प्रवाह बाढ़ नहीं बननी चाहिए वरना जीवन की नाव डूब/

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गुण ग्राहिता

भगवान के अनंत गुणों में से उस गुण की चाह करें जो हमारी कमजोरी हो। आज तक बस गुणगान करते रहे, इसलिए भगवान का कोई

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शिक्षा / विद्या

शिक्षा Broad अर्थ में आती है, विद्या भी इसमें समाहित है। विद्या Specific, जो हमारे जीवन को संवारने के काम आये। इसलिए विद्यार्थी कहा, शिक्षार्थी

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संयम / असंयम

संयम….स्वाधीन है, सरल है। असंयम…पराधीन, कठिन। निर्यापक मुनि श्री सुधासागर जी

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मंगल आशीष

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