Category: वचनामृत – अन्य

उत्तम त्याग धर्म

त्याग पूर्ण का, साधुओं के द्वारा। दान आंशिक, गृहस्थों द्वारा। क्योंकि उनसे घर के कामों में हिंसा/ पाप हो ही जाती है। उसके प्रक्षालन के

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उत्तम तप धर्म

घी दूध को तपाने पर प्राप्त होता है, हलकी-हलकी आग, सुपात्र(मिट्टी) में तपाने से ज्यादा तथा सुगन्धित घी मिलता है। ऐसे ही नर से नारायण

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उत्तम संयम धर्म

संयम चिमनी है, ज्ञान के दीपक को बाहरी हवाओं/ स्वयं की साँसों से बचाने तथा प्रकाश बढ़ाने के लिए। राजा का महल जल गया पर

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उत्तम सत्य धर्म

सत्य तो आत्मा का स्वभाव है। तभी बोला जा सकता है जब रागद्वेष ना हो। ———————————————– झूठ वह जिसे बोलने से पहले सोचना पड़े। सत्य

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उत्तम शौच धर्म

शौच धर्म = अलोभ। इच्छायें जमीनी धरातल से मेल नहीं खाती, उस Gap को कम करते जाना शौच-धर्म है। लोभ = जो मेरा नहीं, वह

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उत्तम आर्जव धर्म

आर्जव यानी सरलता। हालांकि सरल होना सरल है नहीं। चुगली भी मायाचारी का एक रूप है। कम से कम देव, शास्त्र, गुरुओं के साथ तो

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उत्तम मार्दव धर्म

यदि आपकी मौजूदगी दूसरों को असहज करती है तो उसका कारण है…मान। अभिमान…अभी + मान। एक तो मेरी मानो यानी अपनी Identity को खत्म करके,

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गुरु

जिसके सामने सब कुछ कह सकते हो, पर गुरु के कहने के बाद कुछ भी नहीं कह सकते। जैसे वकील जज के सामने कुछ भी

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क्रोध

रे जिया ! क्रोध काहे करै ? वैद्य पर विष हर सकत नाही, आप भखऔ मरे। (दूसरे का विष उतारने को वैद्य के विष खाने

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भगवान दर्शन

जिसको पाषाण में भगवान के दर्शन होते हैं, एक दिन उसे साक्षात भगवान के दर्शन हो जाते हैं। निर्यापक मुनि श्री सुधासागर जी

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मंगल आशीष

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