Category: वचनामृत – अन्य

संयम / असंयम

संयम….स्वाधीन है, सरल है। असंयम…पराधीन, कठिन। निर्यापक मुनि श्री सुधासागर जी

Read More »

भाग्य / समय

‘भाग्य से अधिक और समय से पहले कुछ नहीं मिलता’ – यह सिद्धांत शुरुआत के लिए खतरनाक है/ पुरुषार्थहीन बना देता है। पुरुषार्थ पूरा करने

Read More »

हिंसा

जैन दर्शनानुसार – धार्मिक गृहस्थ लोग हिंसा करते नहीं पर जीवनयापन में हिंसा हो जाती है। उसके लिये उन्हें थोड़ा सा दोष लगता है/ नहीं

Read More »

पाप / पुण्य

हस्तिनापुर पापियों की राजधानी, जो पहले समृद्ध थी, वह आज गाँव है। इन्द्रप्रस्थ पुण्यात्माओं की राजधानी, आज देश की राजधानी है (दिल्ली)। निर्यापक मुनि श्री

Read More »

धोखा

पहली बार धोखा देने वाले को शर्म आनी चाहिए। दूसरी बार धोखा/ अहित/ नुकसान खाने वाले को शर्म आनी चाहिए क्योंकि आपने अपने आपको संभाला

Read More »

आदिनाथ/महावीर भगवान

आदिनाथ भगवान ने जीवों को जीना सिखाया (कृषि आदि षट्कर्म बता कर)। महावीर भगवान ने जीवों को मरने से बचाया। निर्यापक मुनि श्री सुधासागर जी

Read More »

दर्द

दर्द दिया नहीं जाता, लिया जाता है। यदि आप लेना न चाहें तो कोई दे नहीं सकता। मुनि श्री प्रमाणसागर जी

Read More »

आराम या …

देश को आराम की नहीं, आ-राम की जरूरत है। निर्यापक मुनि श्री सुधासागर जी

Read More »

तेज़ गति

वाहन जितनी तेज़ी से चलेगा, धूल भी उतनी तेज़ी से/ ज्यादा उड़ेगी। धूल में दिशा-भ्रम भी हो जाता है। मुनि श्री प्रमाणसागर जी

Read More »

उत्तम ब्रह्मचर्य/ क्षमावाणी

संयम फूल है, ब्रह्मचर्य फल। आजकल ब्रह्मचारी तो भ्रम है, आदर्श देखना है ब्रह्मचारी नीलेश भैया को देखें। क्षमा मांगनी है तो अपनी वासना से

Read More »

मंगल आशीष

Archives

Archives
Recent Comments

October 9, 2023

December 2024
M T W T F S S
 1
2345678
9101112131415
16171819202122
23242526272829
3031