Category: वचनामृत – अन्य

समस्या

कंकड़ को आँख के बहुत करीब ले आओ तो पहाड़ सा दिखेगा।पहाड़ को दूर से देखो तो कंकड़। समस्याओं के साथ भी ऐसा ही होता

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बुद्धिमत्ता

राजा ने भूमि-दान में ब्राम्हणों को बहुत ज्यादा-ज्यादा भूमि दी क्योंकि वे विद्वान होते हैं, अन्य जाति वालों को कम। एक लुहार ने राजा से

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भूलन-बेल

छत्तीसगढ़ के जंगलों में एक वैद्य रास्ता भूल गये। गाँव वालों से पूछा तो उन्होंने कारण बताया… “भूलन-बेल छुआ गयी होगी”। हम सब भी तो

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दृष्टिकोण

सागर से कहा — देखो ! ये सूरज कितना दुष्ट है, तुमको जलाकर तुम्हारा पानी हड़प लेता है। सागर — नहीं वह मुझ पर और

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अहंकार

बादलों से चट्टानों ने शिकायत की… चारों ओर तुम हरियाली कर देते हो, मुझ पर एक घास का तिनका भी नहीं उगाते ! बादल… इसमें

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शांति

बिना शांत हुए दूध की परिणति नहीं बदलती*, आत्मा की कैसे बदल सकती है ! शांति पाने का उपाय – धर्म/वीतरागता। मुनि श्री महासागर जी

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जीवन-यात्रा

जीवन-यात्रा को सुखद वैसी ही बनायें जैसे सड़क-यात्रा को बनाते हैं- 1. भीड़ भरे शहरों से बचने, Bypass का प्रयोग 2. Bump आने पर Speed

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मान

जल से ही पैदा हिमखंड (तरल से कठोर), मान के कारण जल के ऊपर/सिर पर ही रहता है, बड़े बड़े जहाजों के विध्वंस में कारण

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भाग्य / पुरुषार्थ

भाग्य, कर्म-भूमि की दुनिया में खाका देता है, उसमें रंग पुरुषार्थ से भरा जाता है (अच्छा/ बुरा, पूरा/ अधूरा)। स्वामी विवेकानंद जी (प्रियजनों का मिलना

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उदारतापूर्ण विवेक

एक कलैक्टर ने महाराज जी से साम्प्रदायिक/राजनैतिक समस्याओं के लिये दिशा-निर्देश मांगा। महाराजा रणजीत सिंह का संस्मरण सुनाया – ताज़िया ऊंचा था, बरगद की शाखा

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मंगल आशीष

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