Category: वचनामृत – अन्य

आराधना

आराधना क्यों ? मन और गृह शांति के लिये । तो शांति मिली क्यों नहीं ? क्योंकि अभी तक आराधना के उद्देश्य रहे – 1.

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जाति

प्रकृति ने तो मनुष्य की एक ही जाति बनायी है – “मनुष्य” (जैसे एकेन्द्रिय…पंचेन्द्रिय जीव) । मनुष्य ने उसमें कर्मों के अनुसार भेद कर दिये।

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दान

स्व-धन/वस्तु का त्याग, जिससे “स्व”, “पर” का उपकार हो; “स्व” का उपकार ? अपनी आत्मा का उपकार। कैसे होगा ? जिनालय, जिनवाणी, जिन गुरु* के

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दान के भाव

1. धर्म के पात्र…………… आत्म विशुद्धि के निमित्त 2. दया/सहायता के पात्र… पुण्य अर्जन के निमित्त मुनि श्री प्रमाणसागर जी

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बदलाव

युवा ट्रेन में रो रहा था। कारण ? गलत ट्रेन में बैठ गया था। ट्रेन बदल क्यों नहीं लेता ? क्योंकि इस ट्रेन में सीट

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संसार / परमार्थ

जब तक संसार में हो – भोगो मत पर भागो भी मत, भाग लो – Adjust करके। जो संसार में Adjust नहीं कर पाते, वे

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सत्य

वैसे तो सत्य अखंड है पर व्यवहार चलाने में खंडित हो जाता है जैसे सत्य यह है कि रोटी पूर्ण होती है पर माँ खंडित

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घर वापसी

गायें शाम को लौटतीं हैं। उस बेला को गोधूलि कहते हैं। वह शुभ मानी जाती है, क्योंकि गायें अपने प्यार को सँजो कर बच्चों से

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कर्म-फल

यह दो प्रकार का है – 1. बाह्य – जो दिखता भी है – वैभव के रूप में। 2. अंतरंग – जो दिखता नहीं, पर

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कमज़ोरियाँ

एक कम्पनी की Board Meeting में Director ने कम्पनी की Growth पर चर्चा ना करके, कम्पनी के Fail होने के कारणों पर चर्चा की। कहा

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मंगल आशीष

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June 13, 2022

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