Category: वचनामृत – अन्य
बुद्धि / मन
संकल्प बुद्धि से लिया जाता है, पर मन संकल्प लेते ही पुराने संस्कार नहीं छोड़ पाता है। पीपल की गुणवत्ता बढ़ाने के लिये उसे 64
इच्छा
शिष्य – इच्छा क्या है ? गुरु – जो कभी न पूरी हो, और एक-आध पूरी हो भी जाए, तो दूसरी पैदा हो जाए; प्राय:
संघर्षण / मंथन
एक जंगल में बांसों के संघर्षण की आवाज़ अग्नि में बदल गई। गाँव से भी वैसी ही आवाज आ रही थी। यह मथनी की आवाज़
दान
ख़ाली (ग़रीब) को भरोगे तो दिखेगा (फल); संतोष होगा; पुण्य बंध होगा। उसका तो पापोदय है; तभी तो ख़ाली है। तीव्र पापोदय में उसका भला
सत्य
3 प्रकार के – 1. परमात्म सत्य – जो परमात्मा को जानता है 2. आत्म सत्य – जो आत्मा को जानता है 3. संसार सत्य
भगवान महावीर जयंती / विकास – पुण्य
1) भगवान महावीर के 2621वें जन्म-कल्याणक पर सबको बधाई। आत्मसंतोष/ अपरिग्रह के उपदेश पर …. 2) विकास/पुण्य भी दुविधा में डाल देते हैं – दाल
दृष्टि
साधु देखते हुए और भी बहुत कुछ देखते हैं, सुनते हुये और भी बहुत कुछ सुनते हैं जैसे किसी ने “मूर्ख” कहा तो वे ‘म’
आवश्यक / आकर्षण
बाज़ार जाओ तो सेवक बन कर लिस्ट के अनुसार खरीददारी करो, मालिक बनकर गये तो चीजें आकर्षित करेंगी। जैसे कैमिस्ट की दुकान पर पर्चे के
सुख-दु:ख
घटना घटना होती है, उसका सुख-दु:ख से सम्बंध नहीं होता है । वरना बड़े बड़े ऑपरेशन हो ही नहीं सकते थे । ऐनसथिसिया देकर दर्द
पीछे पड़ना
किसी के पीछे ज्यादा नहीं पड़ना चाहिये – इसका एक भव सुधारने के लिये अपने भव-भवांतर क्यों बिगाड़ना चाहते हो ! झगड़ा न करें पर
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