Category: वचनामृत – अन्य

आत्म-निंदा

आत्म-निंदा निराशा का कारण नहीं, आत्मा के शुद्धिकरण में सहायक होती है । मुनि श्री प्रमाणसागर जी

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पूजादि

पूजादि धर्म नहीं, धर्म के साधन/आवश्यक हैं जैसे भोजन बनाना । दयादि धर्म हैं जैसे भोजन करना । मुनि श्री प्रणम्यसागर जी

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क्षमा

क्षमा कैसे करें ? बस क्षमा करके/बैर छोड़कर, उनसे भी जिनको पता ही नहीं कि तुम उनसे बैर करते हो । मुनि श्री अविचलसागर जी

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मत/मन भेद

मन भेद में कषाय (क्रोध, मानादि) है, मत भेद में नहीं । मुनि श्री सुधासागर जी

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अधूरा ज्ञान

थोड़ी वर्षा कीचड़ करती है, पूरी वर्षा सफ़़ाई । मुनि श्री अविचलसागर जी

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गुरु-लाभ

4 Steps से पूर्ण गुरु-लाभ लिया जा सकता है  – 1. Near 2. Hear 3. Tear 4. Fear (आदर) मुनि श्री प्रमाणसागर जी

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कर्म काटना

कर्म काटने का सरलतम उपाय – पापोदय के समय अपने कुकृतों को स्वीकारो/ प्रायश्चित लो/ आगे  पुनरावृत्ति न करने का संकल्प लो । देखा भी

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शब्द / भाव

सेठ की कोठी के पास ही गरीब की झोंपडी थी । गरीब लडके की माँ मरी तो उसके लड़के ने अपने शब्दों में दुःख ज़ाहिर किया

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विषय-भोग

सिनेमा देखते हुये एक व्यक्ति मूंगफली खा खा कर छिलके बगल वाले की जेब में डालता जा रहा था । दूसरी तरफ बैठे मित्र ने

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क्रोध

कार का इंजन, फेल/बंद होने के काफी देर पहले से गर्म होना शुरु हो जाता है । यदि समय रहते पानी डाल कर ठंडा कर

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मंगल आशीष

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