Category: वचनामृत – अन्य

आनंद

आनंदमयी जीवन उन्हीं का होता है जो कर्म सिद्धांत को जीवन की व्यवस्था जानते, मानते तथा प्रयोग करते हैं । मुनि श्री प्रमाणसागर जी

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हितकारी

रागियों के मीठे वचन भी अहितकारी हो सकते हैं । पर गुरूओं के कठोर वचन भी हितकारी होते हैं । मुनि श्री सुधासागर जी

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शस्त्र

शस्त्र वे रखते हैं जो शत्रुता रखते हैं । मुनि श्री विश्रुतसागर जी

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गर्भपात

असमय यदि आपका बच्चा मरा है तो बहुत संभावना है कि पूर्व में तुमने अपना बच्चा मारा होगा । मुनि श्री मंगलानंद जी

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धर्म

आप पकावै, आपइ खावै, कभू नहीं अघावै । मुनि श्री सुधासागर जी

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अंत

भोजन के अंत में सफेद चावल आते हैं तब भोजन समाप्त हो जाता है । सफेद बालों के आ जाने पर तो भोगना समाप्त कर

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भक्ति

राग सहित भक्ति, वैरागी बनाती है । वैरागी की भक्ति, वीतरागी । मुनि श्री विमर्श सागर जी

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संगति

खरबूजे को देखकर खरबूजा रंग बदलता है । जैसी संगति वैसे बनोगे । मंदिर जाओगे भगवान जैसे, गुरूओं की सेवा में रहोगे त्याग/संयम के भाव

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अभिशाप

अपनों का अभिशाप बहुत बड़ा, पर अपना अभिशाप सबसे बड़ा – इंद्रियों/धन/बल के दुरुपयोग से मिलता है ये अभिशाप मुनि श्री सुधासागर जी

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दु:ख

संसार में दु:ख नहीं होते तो मोक्षमार्ग भी नहीं होता । मुनि श्री सिद्धांतसागर जी

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मंगल आशीष

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