Category: वचनामृत – अन्य
वृद्धावस्था
आजकल प्राय: वृद्ध लोगों की अवहेलना होती देखी जाती है, पहले तो नहीं होती थी !! पहले वृद्ध , बच्चों के बड़े होते ही उन्हें
मनुष्य पर्याय
शिष्य ने गुरू को सोने का पात्र दिया, उन्होंने उसके बदले मिट्टी का पात्र वापस कर दिया । उसने बाहर आकर देखा कि उसका घोड़ा
ज्ञान/आचरण
खराब आचरण से खुद को नुकसान होता है । गलत ज्ञान से पूरे समाज को, क्योंकि ज्ञान दूसरों को परोसा जाता है । आचार्य श्री
मोह
एक शराबी बीच सड़क में पड़ा था । सब उसे बचने के लिये समझा रहे थे । वह सुन सबकी रहा था पर देख नहीं
दु:ख
अधूरे तो हम सब हैं, पर ज्ञानी इस अधूरेपन को दूर करने में लगातार प्रयत्नशील रहता है । अज्ञानी प्रयत्न नहीं करता, बस दु:खी रहता
ज्ञान/श्रद्धा
अंधे को उपदेश की नहीं, आँखों की ज़रूरत होती है । मुनि श्री प्रमाणसागर जी
मंदिर
मंदिर की क्या जरूरत है, भगवान तो हमारे दिल में है ? आपके प्रियजन भी तो आपके दिल में हैं, फिर उनसे मिलने क्यों जाते
मंदिर दर्शन
यदि मंदिर सिर्फ मंदिर जाने के लिये जा रहे हो तो याद रखना उस मंदिर के चूहे आदि बनोगे । यदि अपने अंदर जाने के
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