Category: वचनामृत – अन्य

मोह

जिससे मोह किया, वह आपको छोड़ेगा। मोह छोड़ा, तो आप उन्हें छोड़ेंगे। मुनि श्री मंगलसागर जी

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संसार

साधु और गृहस्थ दोनों संसार में, पर संसार में साधु तथा गृहस्थ में संसार। गृहस्थ संसार का स्वाद जानता (उसमें आनंद लेता) है, साधु संसार

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दुश्मन

दुश्मन को कभी कमज़ोर मत समझना। सामने आ जाये तो अपने को कमज़ोर मत समझना। निर्यापक मुनि श्री सुधासागर जी

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मौन

मौन = म + ऊ + न = मध्य* + ऊर्ध्व (देवलोक) + नरक (लोकों की यात्रा)। आर्यिका श्री पूर्णमति माताजी *मनुष्य + जानवरों का

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सफलता

विधि, विधि और विधि से सफलता मिलती है यानी भाग्य, तरीका और पुरुषार्थ से। मुनि श्री मंगलानंदसागर जी

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निंदक नियरे राखिए…

कोई चोर आपके घर में घुसे, सोने चाँदी को तो देखे भी नहीं, आपके घर की गंदगी उठा ले जाए तो आपको दु:ख होगा क्या

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हड़पना

आजकल हड़प्पा(हड़पना) पद्धति चल रही है। लेकिन ध्यान रहे… अगले जन्म में यदि हड़पने वाला पेड़ बना तो जिसका हड़पा है वो साइड में यूकेलिप्टिस

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बोध-वाक्य

बाहर एकता रखनी है, अंदर एकत्व भाव। सोते समय भी सावधानी बरतते हैं/ तीनों मौसमों में भी, फिर भावों में क्यों नहीं ? अगर सावधानी

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क्षमावाणी

अगर पर्युषण पर्व पर इस कविता को यथार्थ में समझ लिया जाये तो ये पर्व मनाना निस्संदेह सफल हो जायेगा:— मैं रूठा, तुम भी रूठ

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मंगल आशीष

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