Category: डायरी

भगवान / हम

भगवान और हमारे रंगों में फ़र्क नहीं –> वे भी काले, हम भी। फ़र्क सिर्फ़ इतना है –> वे ऊपर से काले हैं (पार्श्वनाथ आदि),

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मतलबी संसार

एक व्यक्ति 30 तारीख को बहुत रो रहा था। कारण ? आज के ही दिन 10 साल पहले मेरे ताऊ जी मरे थे, मुझे एक

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आत्मा

आत्मा में ज्ञान तो सबके है। पर महत्वपूर्ण है… क्या आपके ज्ञान में आत्मा है ? आर्यिका श्री पूर्णमति माता जी(25 सितम्बर)

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अंतिम

देखते-देखते ही वर्ष का आरी महीना दिसंबर आ गया। ऐसे ही देखते-देखते अपने जीवन का अंतिम क्षण आ जाएगा। जैसे साल भर का लेखा-जोखा आखिरी

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मोह

माँ अपने नालायक बच्चे को ताने मारती है… देख ! पड़ोसी का बच्चा कितना लायक है। पर जब कुछ देने की बात आती है तो

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लोगों के प्रकार

दो प्रकार के लोग बंधनीय –> जो बंध को पा रहे हैं जैसे कैदी, बलात सीमा में रखते हैं ताकि अमर्यादित न होने पायें। वंदनीय

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सीख

इंसान हमेशा तकलीफ में ही सीखता है। खुशी में तो पुराने सबक भी भूल जाता है। (रेनू जैन – नया बजार, ग्वालियर)

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चारित्र

चारित्र पर किताब बनाना और चारित्र को किताब बनाना – दो अलग बातें हैं। साधु दूसरी पर काम करता है और श्रावक पहली पर। मुनि

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वक्त

इसी से जान गया मैं कि बख़्त ढलने लगे। मैं थक के छाँव में बैठा तो पेड़ चलने लगे। फ़रहत अब्बास शाह अपने हाथों की

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सत्संग

सन्यासी पृथ्वी का नमक है – बाइबिल, (मात्रा में कम, महत्व बहुत)। सत्संग ही स्वर्गवास है। ब्र. डॉ. नीलेश भैया

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मंगल आशीष

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December 4, 2024

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