Category: पहला कदम

दोष

यदि आचरण/ प्रवृत्ति करते समय दोष न लगें तो प्रायश्चित शास्त्रों की रचना करने का औचित्य ही न रहता। क्षु.श्री गणेशप्रसाद वर्णी जी

Read More »

भेदविज्ञान

मैं काया में हूँ, पर काया के बिना भी रह सकता हूँ। शरीर की पीड़ा को पड़ौसी की पीड़ा मानना। निमित्त को दोष देना/ रागद्वेष

Read More »

पुण्यानुबंधी

पुण्यानुबंधी-पुण्य वाले बहुत कम होते हैं, पापानुबंधी-पुण्य वाले बहुत ज्यादा। चिंतन

Read More »

पुरुषार्थ

निगोद से मोक्ष जाने तक की राह में पुरुषार्थ की मुख्यता रहती है। पथरीली/ खतरनाक रास्ता चुन लें या पूर्व मोक्षगामियों का सरल रास्ता। ज्यादातर

Read More »

मोक्ष / मार्ग

शांतिपथप्रदर्शक आदि शास्त्र मोक्षमार्ग/ व्यवहार को प्रधानता देते हैं, सिद्धांत ग्रंथ मोक्ष/ निश्चय को मुख्यता से विषय बनाते हैं। शांतिपथप्रदर्शक

Read More »

लेपाहार

शरीर पर तेल लगाना लेपाहार है, आहार में नहीं आयेगा। इससे त्वचा/ नसों को शक्ति/ लाभ तो होता है पर आहार में तो ग्रहण किया

Read More »

परीषह

22 परीषहों में से 11 मानसिक हैं जैसे नग्नता, याचनादि। बाकी 11 शारीरिक होते हैं। क्षु.श्री जिनेन्द्र वर्णी जी

Read More »

अहमेंद्र / ब्रम्हचर्य

अहमेंद्रों को ब्रम्हचारी मानें या नहीं ? त्याग की दृष्टि से ब्रम्हचारी नहीं क्योंकि संकल्प नहीं है। ग्रहण की दृष्टि से ब्रम्हचारी मानें क्योंकि इंद्रियों

Read More »

परीषह

मुनि 22 परीषहों को जय करके निर्जरा करते हैं। श्रावक के परीषहों की परिषद होती है, उससे कर्मबंध करते हैं। आचार्य श्री विद्यासागर जी

Read More »

संयम

संयम = सम् (सम्यक् प्रकार) + यम (दबाना इन्द्रिय विषयों को)। क्षु.श्री जिनेन्द्र वर्णी जी

Read More »

मंगल आशीष

Archives

Archives

July 19, 2024

November 2024
M T W T F S S
 123
45678910
11121314151617
18192021222324
252627282930