Category: पहला कदम
प्रतिनारायण
नरक में नारायण और प्रतिनारायण दोनों एक ही बिल में जन्म लेते और रहते हैं और पूरे समय पुराने बैर के कारण लड़ते रहते हैं।
सिद्धों का ज्ञान
सिद्धों का ज्ञान प्रकाश रूप, तो क्या सिद्धक्षेत्र प्रकाशित रहता है ? उनका ज्ञान-प्रकाश खुद को प्रकाशित करता है, अन्य को नहीं। मुनि श्री प्रणम्यसागर
वातवलय
वातवलय* तीन प्रकार… 1) घनोदधि** वातवलय –> जल मिश्रित वायु 2) घन वातवलय –> सघन वायु 3) तनु वातवलय –> सूक्ष्म वायु * वायु का
आलोचना / प्रतिक्रमण
क्या आलोचना/ प्रतिक्रमण नकारात्मकता नहीं लाते ? जीवन में सकारात्मकता/ नकारात्मकता दोनों महत्त्वपूर्ण हैं। सकारात्मकता हताश होने पर, नकारात्मकता जब पुण्योदय में मदहोश हो रहे
ज्ञान
चक्रवर्ती भरत ने भाई के ऊपर चक्र चलाया तो वह वापस आ गया। चक्र को ज्ञान था कि चक्र भाई पर नहीं चलाया जाता। हम
ज्ञान से तप
ज्ञान से पदार्थों को जानना, दर्शन से पदार्थों का श्रद्धान, चारित्र से निरोध करना (कर्मों का), तप से शुद्ध होता है (कर्म रहित)। समणसुत्तं –
भेद-विज्ञान
पता कैसे चले कि भेद-विज्ञान हो गया है ? पीड़ा में पीड़ित न होकर, जब उसे कर्म फल मानने लगें तो समझो भेद विज्ञान हो
राग-द्वेष
राग दसवें गुणस्थान तक चलता है जबकि द्वेष नौवें स्थान तक। कारण ? दोनों ही कषाय से होते हैं। क्रोध और मान* द्वेष रूप हैं,
मोक्षमार्ग
मोक्षमार्ग पर चलना नहीं, खड़े रहना/ बने रहना होता है (ज्यादा महत्वपूर्ण होता है)। आचार्य श्री विद्यासागर जी
दूसरा/तीसरा गुणस्थान
पहले गुणस्थान में मिथ्यात्व के भाव, चौथे में सम्यक्त्व के। तो दूसरे/ तीसरे में ? मिथ्यात्व के संस्कार! मुनि श्री प्रमाणसागर जी
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