Category: पहला कदम

उपादान / निमित्त

उपादान मूल्यवान तथा महत्त्वपूर्ण जैसे 4 करोड़ की कार। निमित्त मूल्यवान ना भी हो पर महत्त्वपूर्ण जैसे 4 रु. का Valve. मुनि श्री सुधासागर जी

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काम / वेद

“काम” का ध्यान करने से “काम” बढ़ता है। “वेद” का ध्यान करने से धर्मध्यान बढ़ता है, “काम” शांत होता है, संस्कार भी कम होते हैं।

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पश्चाताप

“मैं पापी हूँ/ मायावी हूँ”, इसकी तो माला फेरनी चाहिये। आँखों से आँसू आ जायें/ पश्चाताप हो जायेगा (पाप धुल जायेंगे)। आचार्य श्री विद्यासागर जी

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विनय

प्राय: विनय को तप नहीं स्वीकारते, जबकि यह अभ्यंतर – तप में आता है। विनय के बिना सब व्यर्थ है। इससे असाध्य कार्य भी सिद्ध

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भगवान के दिमाग

क्या भगवान के दिमाग होता है ? सिद्ध भगवान के शरीर ही नहीं तो दिमाग कैसे होगा ! (अरहंत अवस्था में दिमाग होगा, पर मन

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जिनवाणी पर विश्वास

धर्म शुरु होगा… दया से, सम्यग्दर्शन… विश्वास से। तो भगवान की वाणी पर विश्वास करने से दया, धर्म तथा सम्यग्दर्शन सब आ जायेगा। मुनि श्री

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सम्मान / पद

सम्मान पहले, पद का नाम बाद में। जैसे “णमो अरहंताणं” तथा “नमोस्तु महाराजी”। मुनि श्री सुधासागर जी

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जैनत्व की पहचान

1. पानी छानना – त्रस जीव रक्षा 2. रात्रि भोजन त्याग – पर जीव रक्षा 3. देवदर्शन – स्व-जीव रक्षा मुनि श्री प्रणम्यसागर जी

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पांडुलिपि

पंडित जी… दुर्भाग्य, मूलाचार की मूल पांडुलिपि जर्मनी में है, हम सुरक्षा नहीं कर पाये। आचार्य श्री… कोई बात नहीं, वहाँ द्रव्य-लिपि हो सकती है,

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मंगल आशीष

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