Category: पहला कदम
शलाका पुरुष
(63)शलाका पुरुष “63” प्रवृत्ति वाले, सामान्य पुरुष “36” प्रवृत्ति वाले (एक दूसरे की ओर पीठ किये रहते हैं) आचार्य श्री विद्यासागर जी
लक्षण
लक्षण – संसारी जीव… दु:ख से डरे, पाप से नहीं। जीव…….. ज्ञान/दर्शन गुण वाला। मुनि श्री प्रणम्यसागर जी
नीति / न्याय
अनंतानुबंधी से बचने का उपाय – जिस क्षेत्र में भी हो, नीति/न्याय से काम करें । आचार्य श्री विद्यासागर जी
कर्मों का क्रम
1. ज्ञानावरण – ज्ञान की पूज्यता सो पहले 2. दर्शनावरण – ज्ञान से संबंध। दोनों आत्मा के अनुजीवी गुण 3. वेदनीय – जानकर/देखकर सुख/दु:ख का
आत्मकल्याण
दोषों में मौन रहना और गुणों का निरीक्षण करना ही आत्मकल्याण में तत्परता है। आचार्य श्री विद्यासागर जी
संयम
अंतरदृष्टि होने के बाद भी संयम की आवश्यकता है। दवाई प्राप्त करने मात्र से काम नहीं चलता, उसे उचित मात्रा में, उचित समय पर, परहेज
सीताफल
1. सीताफल में गूदा कम, बीज ज्यादा, Process ज्यादा, गृद्धता दिखती है। 2. प्रासुक करना कठिन, सो Avoid करें। मुनि श्री प्रणम्यसागर जी
भीति/ प्रीति/ प्रतीति
पाप से भीति बिना, भगवान से प्रीति नहीं, और भगवान से प्रीति बिना आत्मा की प्रतीति नहीं। आचार्य श्री विद्यासागर जी
परिषह-जय
वेदना को सहना, प्रतिकार नहीं करना परिषह-जय है । वेदना कम करने के लिये भगवान से प्रार्थना करना भी परिषह-जय में कमी है । आचार्य
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