Category: वचनामृत – अन्य
आत्मा
आत्मा को समझाने की आवश्यकता नहीं, वह तो ही खुद समझदार है, आत्मा को समझना है। ऐसे ही भगवान/ गुरु को समझना है। निर्यापक मुनि
सुखी रहने के उपाय
सुखी रहने के उपाय –> दुखों को स्वीकारें; सुखों का प्रतिकार करें। मुनि श्री प्रमाणसागर जी
मोह
जिससे मोह किया, वह आपको छोड़ेगा। मोह छोड़ा, तो आप उन्हें छोड़ेंगे। मुनि श्री मंगलसागर जी
संसार
साधु और गृहस्थ दोनों संसार में, पर संसार में साधु तथा गृहस्थ में संसार। गृहस्थ संसार का स्वाद जानता (उसमें आनंद लेता) है, साधु संसार
संस्कार / स्वाभिमान
सबका सम्मान करना संस्कार है, अपने अधिकारों की रक्षा स्वाभिमान। मुनि श्री प्रमाणसागर जी
दुश्मन
दुश्मन को कभी कमज़ोर मत समझना। सामने आ जाये तो अपने को कमज़ोर मत समझना। निर्यापक मुनि श्री सुधासागर जी
मौन
मौन = म + ऊ + न = मध्य* + ऊर्ध्व (देवलोक) + नरक (लोकों की यात्रा)। आर्यिका श्री पूर्णमति माताजी *मनुष्य + जानवरों का
सफलता
विधि, विधि और विधि से सफलता मिलती है यानी भाग्य, तरीका और पुरुषार्थ से। मुनि श्री मंगलानंदसागर जी
निंदक नियरे राखिए…
कोई चोर आपके घर में घुसे, सोने चाँदी को तो देखे भी नहीं, आपके घर की गंदगी उठा ले जाए तो आपको दु:ख होगा क्या
हड़पना
आजकल हड़प्पा(हड़पना) पद्धति चल रही है। लेकिन ध्यान रहे… अगले जन्म में यदि हड़पने वाला पेड़ बना तो जिसका हड़पा है वो साइड में यूकेलिप्टिस
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