Category: वचनामृत – अन्य

क्या सम्मान पैसे का ?

देखने में आता है कि पैसे वालों का ही सम्मान होता है, क्या उससे गरीबों का अपमान नहीं होता ? सम्मान पैसे वालों का नहीं

Read More »

वर्तमान में जीना

भूत में जीओगे तो अटक जाओगे। भविष्य में भटक जाओगे। वर्तमान में नित नया वर्तमान आयेगा। बोर नहीं होगे, नित नया उत्साह आयेगा। निर्यापक मुनि

Read More »

मान

स्वाभिमान… स्व-अपेक्षित, अभिमान…. पर-अपेक्षित। मुनि श्री सुधासागर जी (निरभिमान… न स्व-अपेक्षित, ना पर अपेक्षित)

Read More »

भीरुता और धर्म

धर्म-भीरू कहना सही नहीं है, धर्म से डरा नहीं जाता। संसार-भीरू धर्म करते हैं, यह सही है। मुनि श्री सुधासागर जी

Read More »

दान / अहिंसा

एक चींटी बचाने का पुण्य सोने के पहाड़ को दान देने से भी ज्यादा होता है। आर्यिका श्री विज्ञानमती माता जी

Read More »

दया

“दया”का उल्टा “याद” किसकी याद ? स्वयं की। आचार्य श्री विद्यासागर जी दया शुरु करनी चाहिये स्वयं/ अपने घर से। मुनि श्री अजितसागर जी

Read More »

कारण

घर साफ़ रखने के लिये पहले गंदगी लाने वाली खिड़कियाँ बंद, तब झाड़ू। बाधक कारणों को पहले रोकें फिर साध्य पर ध्यान। निर्यापक मुनि श्री

Read More »

भगवान दर्शन

जिसको पाषाण में भगवान के दर्शन होते हैं, एक दिन उसे साक्षात् भगवान के दर्शन हो जाते हैं। निर्यापक मुनि श्री सुधासागर जी

Read More »

Ritual / Spiritual

Ritual = भगवान को मानना/ धार्मिक क्रियायें Spiritual = भगवान की मानना/ धर्मात्मा मुनि श्री प्रणम्यसागर जी

Read More »

मंगल आशीष

Archives

Archives
Recent Comments

August 4, 2023

December 2024
M T W T F S S
 1
2345678
9101112131415
16171819202122
23242526272829
3031