Category: वचनामृत – अन्य

मार्ग / मंज़िल

गुरु/भगवान को पाकर अहोभाग्य अनेकों बार माना, फिर कल्याण क्यों नहीं हुआ ? मार्ग तो मिला पर मंज़िल नहीं, क्योंकि गुरु हमें पाकर धन्य नहीं

Read More »

समता

चुप रहना समता नहीं, प्रभावित न होना समता है । मुनि श्री प्रमाणसागर जी

Read More »

मूर्ति / भगवान

जिसकी मूर्ति, जरूरी नहीं भगवान भी उसके हों, जिसकी मूर्ति नहीं, हो सकता है भगवान उसके हों । मुनि श्री सुधासागर जी

Read More »

मोह

मोह आँख की किरकिरी है, सही से देखने नहीं देता । मुनि श्री महासागर जी

Read More »

सलाह

कील वहीं ठोको, जहाँ अंदर चली जाए। पत्थर पर ठोकोगे, तो वापस आकर तुम्हें ही घायल करेगी। मुनि श्री अविचलसागर जी

Read More »

सत्य

पूर्ण सत्य तो भगवान ही जानते/कह सकते हैं । संसारी/संसार चलाने के लिये असत्य पर भी विश्वास करता है जैसे ज़हर से बनी दवा बीमारी

Read More »

अपने को ढ़ूंढ़ना

परायों में अपनों को ढ़ूंढ़ना कठिन काम, अपनों में* अपने को ढ़ूंढ़ना और कठिन, अपने में अपने-आपको ढ़ूंढ़ना सबसे कठिन, पर सबसे उपयोगी भी ।

Read More »

वेद और वेदना

वेद बिना संवेदना के साथ पढ़ने से सिर्फ अपनी वेदना समझ आयेगी । जिसके अंदर संवेदना है उसे वेद का ज्ञान तो हो ही जायेगा

Read More »

व्यवधान

दीपक को जलना है, हवा को चलना है, दीपक बुझता है । दोष हवा का नहींं, दोनों का अपना अपना स्वभाव है । दीपक क्या

Read More »

करुणा

करुणा के भेद … 1. “करने वाली” – दूसरों के निमित्त से/दूसरों के लिये । पर निमित्त कितनी देर को मिलेंगे ? सो करुणा भाव

Read More »

मंगल आशीष

Archives

Archives
Recent Comments

July 13, 2021

November 2024
M T W T F S S
 123
45678910
11121314151617
18192021222324
252627282930