Category: वचनामृत – अन्य

पुरुषार्थ

गड्डे में गिरे व्यक्तियों में से पहले किसको निकाला जाता है ? जो खड़ा होता है, फिर जो बैठा होता है, अंत में जो लेटा

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त्याग

मूल्य त्याग का नहीं, त्याग को निभाने के लिये आप कितना मूल्य चुकाने को तैयार हैं, वह तय करता है कि त्याग बड़ा है या

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विज्ञान / वीतराग विज्ञान

विज्ञान प्रयोगों पर आधारित, निर्णय बदलते रहते हैं, वीतराग विज्ञान, आत्मानुभव पर आधारित, ना बदलने वाला । मुनि श्री प्रमाणसागर जी

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सरल तप

सबसे सरल तप – प्रसन्न रहना, इससे पुण्यबंध होता है, पापोदय शांत होता है, तथा कर्म झरते भी हैं । मुनि श्री प्रमाणसागर जी

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ज्येष्ठ / श्रेष्ठ

जो ज्येष्ठ बनने में लग जाते हैं, वे श्रेष्ठ नहीं बन पाते हैं । जो श्रेष्ठ बनने के प्रयास में लग जाते हैं, वे ज्येष्ठ

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स्वाभिमान/अभिमान

स्वाभिमान में अपना तथा दूसरे का मान, अभिमान में अपना मान तथा दूसरे का अपमान । मुनि श्री प्रमाणसागर जी

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गुरु / शिष्य

शिष्य के ऊपर कालिख लग जाये तो चलेगा, पर कालिख लगा गुरु नहीं चलेगा, वरना शिष्य अपनी कालिख किस दर्पण में देखेगा ! ना ही

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आराधना

पूरी साल आराधना करना तो पढ़ाई है । पर जिस दिन आराधना ना हो पाये, उस दिन कितना अफसोस होता है/कितना प्रायश्चित लेता है, यह

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मंगल आशीष

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