Category: डायरी

परोपकार

गरीब शिक्षक दूर स्कूल पैदल जाता था। कभी कोई अपने वाहन में बैठा लेता। कुछ दिनों बाद उसने मोटर साइकिल खरीद ली। अब वह सबको

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भक्ति

मेरा तो क्या है ! मैं तो पहले से हारा, तुझ से ही पूछेगा यह संसार सारा… डूब गयी क्यों नैया तेरे रहते खेवनहार !!

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मौन

मौन हो जाने पर सही से सुनाई भी देता है, दिखाई भी देता है। (अपूर्व श्री)

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सम्मान / प्रतिष्ठा

सम्मान/ प्रतिष्ठा की चाहत उतनी ही करनी चाहिए, जितना देने का सामर्थ्य रखते हो। क्योंकि…. जो देते हो उससे ज्यादा वापिस कैसे और क्यों मिलेगा

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समझ

ज़रूरी नहीं की हर व्यक्ति आपको समझ पाए, क्योंकि तराजू केवल वजन बता सकती है, क्वालिटी नहीं। (अनुपम चौधरी)

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निस्वार्थी

व्यक्ति स्वार्थी है, यह पता चलता है नज़दीकियाँ बढ़ने के बाद; और नि:स्वार्थ है, यह पता चलता है उससे दूरियाँ बढ़ने के बाद। (सुरेश)

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गुण / अवगुण

यदि बगीचे में गंदगी के ढेर ज्यादा हों तो वे खुशबूदार पौधों को पनपने नहीं देंगे और यदि 2-4 पनप भी गये तो उनकी खुशबू

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भ्रम

आज चिड़िया का बच्चा खिड़की के कांच में अपनी छवि देख-देख कर चौंच मार रहा था। बार-बार भगाने पर भी नहीं भाग रहा था। उसके

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ज्ञानी

कितनी भी मुसीबतें आयें, ज्ञानी कभी विचलित नहीं होते। सूरज का ताप कितना भी प्रचंड हो समुद्र कभी सूखता नहीं/ कम भी नहीं होता। (हितेष

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सुख / दु:ख

हमें दु:ख वे ही दे सकते हैं जिनसे हमने सुख की चाहत की हो। (अनुपम चौधरी)

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मंगल आशीष

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