Category: डायरी

बिम्ब / प्रतिबिम्ब

बिम्ब से प्रतिबिम्ब बनता है, लेकिन प्रतिबिम्ब से बिम्ब की पहचान होती है। (रेणु- नया बाजार मंदिर)

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क्रोधादि

बीमार को देखकर/ सम्पर्क में आने पर बीमार होना पसंद नहीं करते हो। तो क्रोधी आदि के सम्पर्क में आने पर क्रोध आदि क्यों ?

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स्वार्थ

हे स्वार्थ ! तेरा शुक्रिया। एक तू ही है, जिसने लोगों को आपस में जोड़ रखा है। (सुरेश)

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उपयोगिता

दर्पण का मूल्य भले ही हीरे के सामने नगण्य हों, पर हीरा पहनने वाला दर्पण के सामने ही जाता है। (एन.सी.जैन- नोएडा)

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सुख / दु:ख

सुख/ दु:ख एक ही बगिया के पौधे हैं। इन्हें लगाने/ सींचने/ संवारने/ बढ़ाने वाले माली हम खुद ही हैं। (सुरेश)

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जिम्मेदारी

जिम्मेदारी दुनिया का सबसे बहतरीन टॉनिक है। एक बार पी लो जिंदगी भर थकने नहीं देती है। (अरविन्द बड़जात्या)

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संस्कार

संस्कार तो ‘Groove’ जैसे होते हैं, उसी में से प्रवाह होता रहता है। यदि इससे आत्मा पतित/ दुखी हो रही हो तो उसके Side में

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मंगल आशीष

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