Category: पहला कदम

आलोचना / प्रतिक्रमण

क्या आलोचना/ प्रतिक्रमण नकारात्मकता नहीं लाते ? जीवन में सकारात्मकता/ नकारात्मकता दोनों महत्वपूर्ण हैं। सकारात्मकता हताश होने पर, नकारात्मकता जब पुण्योदय में मदहोश हो रहे

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ज्ञान

चक्रवर्ती भरत ने भाई के ऊपर चक्र चलाया तो वह वापस आ गया। चक्र को ज्ञान था कि चक्र भाई पर नहीं चलाया जाता। हम

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ज्ञान से तप

ज्ञान से पदार्थों को जानना, दर्शन से पदार्थों पर श्रद्धान, चारित्र से निरोध करना (कर्मों का), तप से शुद्ध होता है (कर्म रहित)। समणसुत्तं –

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भेद-विज्ञान

पता कैसे चले कि भेद-विज्ञान हो गया है ? पीड़ा में पीड़ित न होकर, जब उसे कर्म फल मानने लगें तो समझो भेद विज्ञान हो

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राग-द्वेष

राग दसवें गुणस्थान तक चलता है जबकि द्वेष नौवें स्थान तक। कारण ? दोनों ही कषाय से होते हैं। क्रोध और मान* द्वेष रूप हैं,

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मोक्षमार्ग

मोक्षमार्ग पर चलना नहीं, खड़े रहना/ बने रहना होता है (ज्यादा महत्वपूर्ण होता है)। आचार्य श्री विद्यासागर जी

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दूसरा/तीसरा गुणस्थान

पहले गुणस्थान में मिथ्यात्व के भाव, चौथे में सम्यक्त्व के। तो दूसरे/ तीसरे में ? मिथ्यात्व के संस्कार! मुनि श्री प्रमाणसागर जी

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स्व-चतुष्टय

स्वयं का द्रव्य, क्षेत्र, काल और भाव ही स्व-चतुष्टय है। निर्यापक मुनि श्री सुधासागर जी

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जैन भूगोल

तिलोइपणत्ति के अनुसार एक प्राकृतिक आपदा (भोगभूमि से कर्मभूमि आते समय पृथ्वी एक योजन(योजन बराबर 2000 कोस) ऊपर उठ गई थी। उससे पृथ्वी गोल हो

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भेद-विज्ञान

ज्ञानी को भेद-विज्ञान होता है, अज्ञानी को भेड़-विज्ञान (भेड़ चाल/ जो चलता आ रहा है/ सब कर रहे हैं, बिना विवेक के करते जाना)। (रेनू

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मंगल आशीष

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