Category: पहला कदम
माया
माया-कषाय अंतर्मुहूर्त के लिये, माया-शल्य लम्बी अवधि के लिये। निर्यापक मुनि श्री सुधासागर जी
संस्थान-विचय
गुरु/ भगवान के आकार का चिंतन करना भी संस्थान-विचय होता है। शांतिपथ प्रदर्शक
ऋद्धि
ऋद्धि 7 (सिद्धांत ग्रंथों में) भी 8 भी। (बुद्धि, क्रिया, विक्रिया, तप, बल, रस, अक्षीण, औषधि) क्रिया व विक्रिया को एक में लेने से 7
मोक्षमार्ग
मोक्षमार्ग पर चलने से ज्यादा महत्वपूर्ण है उस पर बने रहना। आचार्य श्री विद्यासागर जी
गुरु
गुरु वह जो शरीर को (आत्मा से) ज्यादा महत्व न दे। महावीर भगवान की दिव्यध्वनि 66 दिन “दलाल” के अभाव में नहीं खिरी। बड़े व्यापारों*
तीर्थंकर / अवतार
तीर्थंकर… पुण्यवानों का कल्याण करने, अवतार… पापियों का नाश करने। कारण ? तीर्थंकर तो अहिंसा का प्रतिपादन करने आते हैं सो नाश कर ही नहीं
सिद्ध भगवान
सिद्ध भगवानों का ज्ञान एक स्तर पर होता है। वे परम ज्ञानी हैं यानी जो ज्ञानी होगा उसके ज्ञान का लेवल एक होगा। यही केवलज्ञान
भोगी वर्गणाओं का ग्रहण
एक ब्रह्मचारी मानसिक विकलांगों की संस्था में भोजन कराने गये। कुछ बच्चों ने अति ग्रहण करके वमन कर दिया। एक तो थाली से वमन के
धर्म के लिए समय
धर्म के लिए समय निकालने/ न निकालने की बात ही क्यों उठती है ! सम्यक् श्रद्धा का अंदर बना रहना ही धर्म है। हाँ! गलत
श्रद्धा
आचार्य श्री कुंदकुंद कहते हैं…. चारित्र से गिरे तो भ्रष्ट, लेकिन सच्ची श्रद्धा से गिरे तो महाभ्रष्ट। श्रद्धा (सच्ची) सिद्ध बनने की कच्ची सामग्री है।
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