Category: पहला कदम

तीर्थंकर

सभी तीर्थंकरों के प्रथम आहार का वर्णन तो मिलता है, पर महावीर भगवान के कई आहारों का मिलता है। प्रथम आहार के समय पंचाश्चर्य तो

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काल

काल तो एक समय का वर्तमान काल होता है, यह निश्चय काल है। व्यवहार तीनों कालों में बांटता है। भूत/ भविष्य तो Collection of काल

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आत्मा

जो अपने को आत्मा नहीं मानता, उसे दूसरे भी आत्मा नहीं मानते जैसे पृथ्वीकायादि असंज्ञी जीवों को। आर्यिका श्री पूर्णमति माता जी (6 नवम्बर)

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सिद्ध

समस्या आने पर “ॐ सिद्धाय नमः” या “ॐ अर्हम नमः” का बार-बार चिंतन करें। क्योंकि उन्होंने अव्याबाध सुख प्राप्त कर लिया है यानी बाधा रहित।

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प्रतिनारायण

नरक में नारायण और प्रतिनारायण दोनों एक ही बिल में जन्म लेते और रहते हैं और पूरे समय पुराने बैर के कारण लड़ते रहते हैं।

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सिद्धों का ज्ञान

सिद्धों का ज्ञान प्रकाश रूप, तो क्या सिद्धक्षेत्र प्रकाशित रहता है ? उनका ज्ञान-प्रकाश खुद को प्रकाशित करता है, अन्य को नहीं। मुनि श्री प्रणम्यसागर

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वातवलय

वातवलय* तीन प्रकार… 1) घनोदधि** वातवलय –> जल मिश्रित वायु 2) घन वातवलय –> सघन वायु 3) तनु वातवलय –> सूक्ष्म वायु * वायु का

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आलोचना / प्रतिक्रमण

क्या आलोचना/ प्रतिक्रमण नकारात्मकता नहीं लाते ? जीवन में सकारात्मकता/ नकारात्मकता दोनों महत्त्वपूर्ण हैं। सकारात्मकता हताश होने पर, नकारात्मकता जब पुण्योदय में मदहोश हो रहे

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ज्ञान

चक्रवर्ती भरत ने भाई के ऊपर चक्र चलाया तो वह वापस आ गया। चक्र को ज्ञान था कि चक्र भाई पर नहीं चलाया जाता। हम

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ज्ञान से तप

ज्ञान से पदार्थों को जानना, दर्शन से पदार्थों का श्रद्धान, चारित्र से निरोध करना (कर्मों का), तप से शुद्ध होता है (कर्म रहित)। समणसुत्तं –

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मंगल आशीष

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December 13, 2024

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