Category: पहला कदम
सम्यग्दर्शन
छह द्रव्यों पर श्रद्धा से सम्यग्दर्शन कैसे ? 6 द्रव्यों में अरूपी भी, उस पर श्रद्धा यानी केवलज्ञान/ ज्ञानी पर श्रद्धा। मुनि श्री प्रणम्यसागर जी
परिणाम
परिणाम दो प्रकार के –> अनादि परिणाम → अनादि से उसी रूप चल रहे हैं जैसे सुमेरु पर्वत। ये पकड़ में नहीं आते। सादि परिणाम
मूर्तिमान दर्शन
यदि “जन्म-जरा-मृत्यु-विनाशनाय” अर्घ्य पढ़ते समय मूर्ति में मूर्तिमान के दर्शन हो जायें, तो अकाल मरण टल जाता है। ऐसे ही “संसार-ताप-विनाशनाय” अर्घ्य के समय दर्शन
धनतेरस
1) धनतेरस…. बाह्य-चेतना का विषय.. मिथ्यादृष्टि 2) धन्यतेरस… अंतरंग का विषय…… सम्यग्दृष्टि 3) ध्यानतेरस… व्रती लोगों का विषय जो परमात्मा बनने की राह पर हैं..
नय
द्रव्यार्थिक नय –> हर द्रव्य अपने-अपने स्वभाव में है। यानी द्रव्य के स्वभाव को देखना जैसे सिद्ध भगवान अपनी अवगाहना में (यहाँ पर्यायार्थिक नय को
सुख-दुःख-जीवित मरणोपग्रहाश्च
ऊपर के सूत्र में…“च” के लिए आचार्य अकलंक देव कहते हैं –> धर्म, अधर्म आदि दूसरों पर ही उपकार करते हैं लेकिन पुद्गल ख़ुद पर
मूर्ति-पूजा
जैन-दर्शन में मूर्ति पूजा नहीं, मूर्तिमान की पूजा है। इसीलिये कबीरदास जी ने जैन-दर्शन की मूर्तिपूजा पर टिप्पणी नहीं की। निधत्ति/निकाचित कर्म समाप्त हो जाते
धर्म
प्रथमानुयोग –> आचार्य गुणभद्र स्वामी – जीवों की रक्षा – अहिंसा परमोधर्म – वृक्ष के लिये बीज चरणानुयोग –> आचार्य उमास्वामी – रत्नत्रय – तना
स्व-समय
पूर्ण रूप से तो स्व-समय में सिद्ध भगवान ही रहते हैं। निज में एकत्व पर से विभक्त्व। अरहंत भगवान भी चार अघातिया कर्मों का अनुभव
अयश
अयश उदय इससे नहीं माना जायेगा कि लोग बदनामी कर रहे हैं। ऐसी बदनामी तो सती अंजना तथा सीता जी की भी हुई थी। उदय
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