Category: पहला कदम
भगवान / भववान
आत्मायें दो प्रकार की → भगवान = भग (काम) + वान (नष्ट)। ये अल्प आरम्भ/ परिग्रह तथा शील पालन से। भववान → जो भवों में
मोह
शुरु में मोह छोड़ना कठिन है। जिनवाणी में रुचि बढ़ाने से मोह अपने आप कम होता जाता है। मुनि श्री प्रणम्यसागर जी (शंका समाधान –
नाम कर्म
नामकर्म तो सब जीव अपना-अपना लेकर आते हैं फिर बच्चों की शक्ल प्राय: माँ से क्यों मिलती है ? हर कर्म द्रव्य, क्षेत्र, काल और
प्रतिक्रमण
प्रतिक्रमण में 9 बार णमोकार मंत्र के साथ 27 श्वासोच्छवास करते हैं। जिसमें 27 बार सांस छोड़ते हैं, यह प्रतीक है छोड़ने का। णमोकार मंत्र
ईर्या समिति
चार हाथ जमीन आगे देखकर चलने का एक और कारण है कि यदि मुनि गिरे तो अगले चार हाथ में गिरेंगे और वह भूमि जीव
कषाय से हानि
कषायों से सामने वालों की ही हानि नहीं, स्वयं का भी बहुत नुकसान होता है – आहार कम हो जाता है। चारित्र मोहनीय बंध। अहिंसा
टोंकों से करोड़ों मुनि
टोंकों से जो करोड़ों मुनि सिद्ध बनते हैं, उन्हें कैसे घटित करें ? उन टोंकों से भूत/ भविष्य में जाने वालों का नम्बर है। मुनि
रागी देवपूजा
जो रागी देव देवियों की पूजा करते हैं उन्हें पूजा छुड़वाने की जगह सच्चे गुरू के पास ले जाकर सच्चे देवों का स्वरूप समझवाना चाहिये।
मोह
एक स्थान/ व्यक्ति से लगाव तीव्र/ ज्यादा (>6 माह) हुआ तो अनंतानुबंधी। पांडव नकुल/ सहदेव तो संज्वलन की तीव्रता में ही 33 सागर के लिये
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