Category: डायरी

दिशा निर्देश

ब्रह्मचारी बसंता भैया श्री दीपचंद वर्णी जी से तीर्थयात्रा जाते समय, दिशा निर्देश मांगने गये। 3 रत्न हमेशा पास रखना – क्षमा, विनय, सरलता तथा

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जीवन / मरण

जीवन मरण सिक्के के दो पहलू हैं। एक जितना बड़ा/ मूल्यवान होगा, दूसरा भी उतना ही (जैसे साधुजन/ भगवान का)। “सौफी का संसार” (जॉस्टिन गार्डर)

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भेड़-चाल

स्वर्ग में सिंहासन भर गये। एक नये देवता ने सिंहासन खाली कराने के लिये अफवाह फैला दी कि नरक में बहुत सुंदर स्वर्ग बनाया जा

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स्त्री

इनमें प्राय: साधुता वाले गुण ज्यादा पाये जाते हैं…. स्थिरता, क्षमा, दया, वात्सल्य आदि। उम्र के साथ ये बढ़ते जाते हैं। इसका बड़ा प्रमाण यह

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सत्य / असत्य

सत्य असत्य दोनों नहाने गये। असत्य ने सत्य के कपड़े पहन लिये। वही कपड़े पहने आज भी घूम रहा है। सत्य जब तक जूते पहन

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एक ही देवता

एक विधवा महिला मंदिर में फूल तथा Waste सब भगवान को समर्पित करतीं थीं। कारण ? “सर्वस्व समर्पयामि”। जब हमारा भगवान एक ही है तो

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सोच

नकारात्मक ….काफ़ी अकेला हूँ। सकारात्मक …अकेला काफ़ी हूँ। (एकता-पुणे)

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श्रमण / श्रावक

श्रमण … मैं ही मैं हूँ (क्योंकि स्व में प्रतिष्ठित), श्रावक …तू ही तू है* ( क्योंकि गुरु/ भगवान की भक्ति की प्रधानता)। ब्र. डॉ.

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दर्शन

दर्शन की पैदाइश* से दुःख। दर्शन-शुद्धि सो जीवन शुद्धि। ब्र. डॉ. नीलेश भैया * देखने के भाव

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मंगल आशीष

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September 25, 2024

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